जुबिली न्यूज डेस्क
देश के अधिकांश राज्यों में कोरोना महामारी के बाद से प्राइवेट स्कूलों द्वारा पूरी फीस लिए जाने का मुद्दा छाया हुआ है। अभिभावक महामारी के दौरान लगातार ट्यूशन फीस की माफी की मांग कर रहे हैं और स्कूल फीस कम करने को तैयार नहीं है। फीस का मुद्दा देश के शीर्ष अदालत तक पहुंचा पर अब तक इस पर पूरे देश में एक राय नहीं बन पाई है।
फीस माफी का मुद्दा अधिकांश राज्यों की हाईकोर्ट में गया। किसी राज्य में अदालत ने अभिभावकों के पक्ष में फैसला दिया तो कहीं स्कूलों के। कई राज्यों की सरकारों ने भी फीस को लेकर फैसला दिया, पर स्कूल राज्य सरकार के फैसले को मानने को तैयार नहीं हैं।
दो दिन पहले बांबे हाईकोर्ट ने फीस को लेकर फैसला दिया था और अब कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल के स्कूलों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क में 20 प्रतिशत की कटौती का फैसला सुनाया है।
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कलकत्ता हाईकोर्ट के इस फैसले ने अभिभावकों को राहत दी है। अदालत के अंतरिम आदेश के अनुसार, “वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान फीस में कोई वृद्धि नहीं होगी। अप्रैल 2020 से शुरू होने वाले महीने से लेकर उस महीने तक, जिसमें स्कूल फिजिकल मोड में फिर से खुलते हैं, सभी 145 स्कूल पूरे बोर्ड में फीस में 20 प्रतिशत की कटौती की पेशकश करेंगे।”
इसने साथ ही अदालत ने कहा कि सुविधाओं के इस्तेमाल के लिए गैर जरूरी शुल्क की अनुमति नहीं होगी।
कलकत्ता हाईकोर्ट में शहर के 145 निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों ने स्कूल फीस में कमी करने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि कक्षाएं केवल ऑनलाइन चल रही हैं।
इस याचिका की सुनवाई पर अदालत ने आदेश दिया कि वित्त वर्ष 2020-21 में कोई फीस वृद्धि नहीं होगी और अप्रैल 2020 से जब तक स्कूल दोबारा पारंपरिक तरीके से खुल नहीं जाते, तब तक सभी 145 स्कूल शुल्क में कम से कम 20 प्रतिशत कमी करने की पेशकश करेंगे। यह फैसला न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति मौसमी भट्टाचार्य की पीठ ने दिया।
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कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस याचिका पर वह सात दिसंबर 2020 को दोबारा सुनवाई करेगी। इससे पहले कोर्ट निर्देशों के अनुपालन में हुई प्रगति की निगरानी करेगी।