जुबिली न्यूज डेस्क
अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से तल्खी है। दोनों देशों के बीच चल रहे तनावपूर्ण रिश्तों के बीच राष्टï्रपति जो बाइडन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फोन पर फोन पर पहली बार बात की है।
राष्ट्रपति बाइडन ने इस बारे में ट्वीट करके बताया, ‘आज राष्ट्रपति शी से मैने बात की और चीनी लोगों को लूनर नए साल की बधाई दी। चीन के व्यापार के तरीकों को लेकर भी मैंने चिंता व्यक्त की। इसके अलावा भी मैंने वहां हो रहे मानवाधिकार के उल्लंघन और ताइवान के साथ होने वाली जोर-जबरदस्ती पर भी चिता प्रकट कीं। मैंने राष्ट्रपति शी से कहा कि अमेरिका चीन के साथ तभी काम करेगा जब इसका फायदा अमेरिका के लोगों को होगा।’
अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर की शुरूआत ट्रंप प्रशासन के दौर में हुई थी। फिलहाल बाइडन के प्रशासन का चीन को लेकर क्या रूख होगा इस पर सबकी नजरें बनीं हुई हैं।
I spoke today with President Xi to offer good wishes to the Chinese people for Lunar New Year. I also shared concerns about Beijing’s economic practices, human rights abuses, and coercion of Taiwan. I told him I will work with China when it benefits the American people.
— President Biden (@POTUS) February 11, 2021
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चीन और अमेरिका के बीच टकराव की क्या है वजह
अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने साल 1972 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से सामान्य रिश्ते बनाने के लिए कदम उठाया था। तब से लेकर अब तक दोनों देशों के रिश्ते सबसे खराब दौर में पहुंच चुके हैं।
चीन से रिश्ते ज्यादा खराब होने की शुरुआत साल 2013 में तब से हुई जब चीनी राष्टï्रपति शी जिनपिंग सत्ता में आए। उन्होंने अपने पहले के राष्ट्रपतियों के मुकाबले अधिक मुखर और दबंग माने जाते हैं।
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चीन ने तनाव को तब और हवा तब दी जब वो हॉगकॉन्ग के लिए कठोर सुरक्षा कानून लाया। इसके बाद से चीन में अल्पसंख्यक वीगर मुस्लिमों के साथ जुल्म की रिपोर्ट्स आने लगीं, लेकिन इस दौरान ट्रंप प्रशासन के साथ चीन का टकराव एक वैचारिक वैश्विक नजरिए के कारण बहुत अधिक बढ़ गया।
ट्रंप ने शीत युद्ध की याद ताजा करते हुए चीनी नेताओं पर आरोप लगाया कि वो अपना वैश्विक वर्चस्व कायम करने के लिए तानाशाही कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने अमेरिका और चीन के मुकाबले को आजादी और उत्पीडऩ का संघर्ष बताया।
इसके अलावा चीन पर अमेरिका टैरिफ बढ़ाना शुरू कर दिया। इसके जबाव में चीन ने भी यही काम किया। इस तरह दोनों देशों के बीच ट्रेड-वॉर शुरू हो गया।
पिछले साल जुलाई माह में अमेरिका ने ह्यूस्टन स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास को भी बंद करने का आदेश दिया।
चीन ने भी अमरीका के इस कदम का जल्द ही जवाब दे दिया। चीन ने पश्चिमी चीनी शहर चेंगडू में अमेरिका को अपना कांसुलेट बंद करने का आदेश दिया।
दरअसल कांसुलेट पर कोई नीति बनाने की जिम्मेदारी नहीं होती, लेकिन व्यापार करने और किसी तरह की पहुंच के लिए इसकी अहम भूमिका होती है।
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ये कदम उस राजनयिक बुनियादी ढांचे पर चोट थी जिसके आधार पर दोनों देश एक दूसरे से बातचीत करते थे।
जिनपिंग सरकार का मानना है कि अमरीका प्रशासन, चीन को रोकना चाहता है ताकि वो अमेरिका से आर्थिक रूप से आगे ना बढ़ पाए।
चीनी सरकार में कई लोग खास तौर पर इस बात को लेकर गुस्से में हैं कि अमरीका ने चीनी टेलिकम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी को लेना बंद कर दिया है।
फिलहाल सबकी नजरें अब बाइडन प्रशासन पर हैं कि वह इसे लेकर क्या कदम उठाएंगे।