जुबिली स्पेशल डेस्क
सपा और कांग्रेस के बीच चल रही जुब़ानी जंग फिलहाल रूकती हुई नजर आ रही है। मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस सीटों के बंटवारे को लेकर आमने सामने आ गए थे लेकिन अब ये युद्ध विराम हो गया है। दरअसल कमलनाथ और अखिलेश यादव के बीच जोरदार बहस देखने को मिल रही थी।
मीडिया रिपोट्र्स की माने तो आज कांग्रेस के संगठन महामंत्री केसी वेणुगेपाल ने अखिलेश यादव को फोन कर सॉरी कहा। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का संदेश भी उन्हें दिया।
मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर कांग्रेस तेजी से अपनी तैयारी कर रही है। बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए कमलनाथ की टीम एक अलग रणनीति पर काम कर रही है लेकिन इस बीच अखिलेश यादव को लेकर हुए विवाद पर कमलनाथ अपनी चुप्पी तोड़ चुके हैं।
हालांकि अब इस मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ पूर्व सीएम अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर गठजोड़ करना चाहते थे, लेकिन उन्हें नहीं पता कि ये कैसे होगा।
उन्होंने इस पूरे मामले पर न्यूजी एजेंसी से बातचीत में कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव के नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा कि मुझे नहीं पता कि कमलनाथ ने ऐसा शब्दों का इस्तेमाल क्यों किया।
दरअसल हाल ही में कमलाथ से जब अखिलेश यादव को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा था कि छोडि़ए अखिलेश-वखिलेश को। दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि मैंने कमलनाथ को सलाह दी थी कि सपा के लिए राज्य की 230 सीटों में से चार सीट छोड़ दीजिए। वहीं सपा छह सीटों पर उम्मीदवार उतारना चाहती थी. उन्होंने आगे कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल कांग्रेस और सपा की एक दूसरे के खिलाफ लडऩे पर कहा कि मुझे पता है कि अखिलेश यादव बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे।
अब इस मामले पर कमलनाथ को सफाई देनी पड़ी है। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कमलनाथ ने कहा है कि हमने इस बारे में बातचीत करने की पूरी कोशिश की, लेकिन हमारे लोग तैयार नहीं थे। कमलनाथ ने ये भी कहा कि सवाल ‘कितनी सीट’ का नहीं बल्कि ‘कौन सी सीट’ का था।
उन्होंने इसके आगे कहा कि मुझे सभी कार्यकर्ताओं को और अपने संगठन को साथ लेकर चलना पड़ा। हम अपने लोगों को उन सीटों के लिए मना नहीं पाए जो वे चाहते थे। यानी कमलनाथ के मुताबिक वो अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के दवाब में सीट को लेकर फैसला नहीं कर सके।