जुबिली स्पेशल डेस्क
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव 19 अगस्त को यानी शुक्रवार को मनाया जा रहा है। पूरे देश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम है। आपको पता है कि क्या श्रीकृष्ण के 108 नामों के बारे में। हम आपको यहां बता रहे हैं उनके 108 नामों के बारे में जिसको आप श्रद्धापूर्वक जाप करने से प्रभु की कृपा प्राप्त होती है।
1. कृष्ण, 2. कमलनाथ, 3. वासुदेव, 4. सनातन, 5. वसुदेवात्मज, 6. पुण्य, 7. लीलामानुष विग्रह, 8. श्रीवत्स कौस्तुभधराय, 9. यशोदावत्सल, 10. हरि, 11. चतुर्भुजात्त चक्रासिगदा, 12. सङ्खाम्बुजा युदायुजाय, 13. देवाकीनन्दन, 14. श्रीशाय, 15. नन्दगोप प्रियात्मज, 16. यमुनावेगा संहार, 17. बलभद्र प्रियनुज, 18. पूतना जीवित हर, 19. शकटासुर भंजन, 20. नन्दव्रज जनानन्दिन, 21. सच्चिदानन्दविग्रह, 22. नवनीत विलिप्तांग, 23. नवनीतनटन, 24. मुचुकुन्द प्रसादक, 25. षोडशस्त्री सहस्रेश, 26. त्रिभंगी, 27. मधुराकृत, 28. शुकवागमृताब्दीन्दवे, 29. गोविन्द, 30. योगीपति, 31. वत्सवाटि चराय, 32. अनन्त, 33. धेनुकासुरभञ्जनाय, 34. तृणी-कृत-तृणावर्ताय, 35. यमलार्जुन भञ्जन, 36. उत्तलोत्तालभेत्रे, 37. तमाल श्यामल कृता, 38. गोप गोपीश्वर, 39. योगी, 40. कोटिसूर्य समप्रभा, 41. इलापति, 42. परंज्योतिष, 43. यादवेंद्र, 44. यदूद्वहाय, 45. वनमालिने, 46. पीतवससे, 47. पारिजातापहारकाय, 48. गोवर्थनाचलोद्धर्त्रे, 49. गोपाल, 50. सर्वपालकाय, 51. अजाय, 52. निरञ्जन, 53. कामजनक, 54. कञ्जलोचनाय, 55. मधुघ्ने, 56. मथुरानाथ, 57. द्वारकानायक, 58. बलि, 59. बृन्दावनान्त सञ्चारिणे, 60. तुलसीदाम भूषनाय, 61. स्यमन्तकमणेर्हर्त्रे, 62. नरनारयणात्मकाय, 63. कुब्जा कृष्णाम्बरधराय, 64. मायिने, 65. परमपुरुष, 66. मुष्टिकासुर चाणूर मल्लयुद्ध विशारदाय, 67. संसारवैरी, 68. कंसारिर, 69. मुरारी, 70. नाराकान्तक, 71. अनादि ब्रह्मचारिक, 72. कृष्णाव्यसन कर्शक, 73. शिशुपालशिरश्छेत्त, 74. दुर्यॊधनकुलान्तकृत, 75. विदुराक्रूर वरद, 76. विश्वरूपप्रदर्शक, 77. सत्यवाचे, 78. सत्य सङ्कल्प, 79. सत्यभामारता, 80. जयी, 81. सुभद्रा पूर्वज, 82. विष्णु, 83. भीष्ममुक्ति प्रदायक, 84. जगद्गुरू, 85. जगन्नाथ, 86. वेणुनाद विशारद, 87. वृषभासुर विध्वंसि, 88. बाणासुर करान्तकृत, 89. युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे, 90. बर्हिबर्हावतंसक, 91. पार्थसारथी, 92. अव्यक्त, 93. गीतामृत महोदधी, 94. कालीयफणिमाणिक्य रञ्जित श्रीपदाम्बुज, 95. दामोदर, 96. यज्ञभोक्त, 97. दानवेन्द्र विनाशक, 98. नारायण, 99. परब्रह्म, 100. पन्नगाशन वाहन, 101. जलक्रीडा समासक्त गोपीवस्त्रापहाराक, 102. पुण्य श्लोक, 103. तीर्थकरा, 104. वेदवेद्या, 105. दयानिधि, 106. सर्वभूतात्मका, 107. सर्वग्रहरुपी, 108. परात्पराय
इस तरह से करें मूर्ति का चुनाव
जन्माष्टमी पर बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है। आप अपनी आवश्यकता और मनोकामना के आधार पर जिस स्वरूप को चाहें स्थापित कर सकते हैं। प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए राधा-कृष्ण की, संतान के लिए बाल कृष्ण की और सभी मनोकामनाओं के लिए बंसी वाले कृष्ण की मूर्ति स्थापना कर सकते हैं। इस दिन शंख और शालिग्राम की स्थापना भी की जा सकती है।
जन्माष्टमी का महत्व
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का देशभर में विशेष महत्व है। यह हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। भगवान श्रीकृष्ण को हरि विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। देश के सभी राज्यों इसे अपने अपने तरीके से मनाते हैं। इस दिन बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी अपने आराध्य के जन्म की खुशी में दिन भर व्रत रखते हैं और कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हैं। साथ ही मंदिरों में झांकियां निकाली जाती हैं।