जुबिली स्पेशल डेस्क
विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में मची भगदड़ के साथ ही समाजवादी पार्टी को रोजाना नये-नये सहयोगी मिलते जा रहे हैं। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा को भारी झटका लगा है।
अब तक 3 मंत्री समेत 15 विधायक पार्टी से नाता तोड़ चुके हैं। अब यह भगदड़ थमी नहीं है। बागी नेताओं का माने तो यह सिलसिला अभी कुछ दिन और चलेगा। इन इस्तीफों से योगी सरकार की मुश्किलें जरूर बढ़ सकती है क्योंकि इसका सीधा असर ओबीसी वोट बैंक पर पड़ सकता है।
सपा और बीजेपी दोनों की पूरी नजर ओबीसी वोट पर है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इसी के सहारे प्रचंड जीत हासिल की थी। बीजेपी ने गैर यादव ओबीसी जातियों जैसे कुर्मी, मौर्य, शाक्य, सैनी, कुशवाहा, राजभर और निषाद नेताओं को सहारे सत्ता में आई थी। अखिलेश यादव को वनवास झेलना पड़ा था लेकिन अब वहीं वोट बैंक वापस सपा में जाता नजर आ रहा है।
यूपी की सियासत में शुक्रवार को दिन बेहद हलचल भरा रहा क्योंकि एक ओर जहां लखनऊ में बीजेपी के बागियों ने कमल का साथ छोड़ साइकिल की सवारी करने के लिए सपा का दामन थाम लिया जबकि दूसरी ओर गोरखपुर में दलित के घर योगी आदित्यनाथ के खिचड़ी भोज कर अपने दलित वोटरों को अपने ओर मोडऩे की कोशिश जरूर की है।
यूपी चुनाव में दलित वोटरों का महत्व हमेशा से रहा है। इसपर सपा से लेकर बीजेपी की पैनी नजर होती है। इतना ही नहीं करीब 21 फीसदी दलित वोटरों ने जिसपर अपना हाथ रख दिया उस पार्टी का रास्ता और आसान हो जाता है। ऐसे में देखा जाये तो दलित साइलेंट वोटर इस पर निर्णायक भूमिका में नजर आ रहे हैं और सपा से लेकर बीजेपी अपने पाले में करने की कोशिशों में लगी हुई है।