जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी ने भारतीयों के सामने कई समस्याएं खड़ी कर दी है। कोरोना की वजह से करोड़ों लोगों की नौकरी चली गई। महमारी से हर कोई प्रभावित हुआ है। गरीब और गरीब हो गए है। उनके लिए दो जून की रोटी चुनौती बन गई है।
गांव हो या शहर यह समस्या हर जगह है। एक सर्वें के अनुसार शहरी भारतीयों के लिए गरीबी उन्मूलन, भुखमरी हटाना और लैंगिक समानता हासिल करना ‘सतत विकास लक्ष्यों’ (एसडीजी) के बीच प्रमुख प्राथमिकताएं हैं।
विश्व आर्थिक मंच-मार्केट रिसर्च कंपनी इपसोस ने शहरी भारतीयों के बीच यह सर्वे कराया जिसमें यह तथ्य सामने आए हैं।
इपसोस के बयान में कहा गया है कि सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि शहरी भारतीयों के लिए अच्छा स्वास्थ्य और भलाई सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।
इसके अलावा 2021 के लिए वैश्विक नागरिकों की शीर्ष तीन एसडीजी प्राथमिकताएं हैं, भुखमरी हटाना, गरीबी हटाना, बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण।
इपसोस इंडिया के सीईओ अमित अदारकर के अनुसार, “महामारी और तालाबंदी ने बड़े पैमाने पर आजीविका को प्रभावित किया है और शीर्ष तीन लक्ष्य केवल यह सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि लोगों को खिलाना और आर्थिक रूप से समर्थित करना है और उपचार और टीकाकरण प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को आगे बढ़ाना है।”
अदारकर ने कहा कि सरकार ने भी इन तीन क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है, जब तक कि वायरस पर नियंत्रण नहीं हो जाता।
मालूम हो कि संयुक्त राष्ट्र ने कुल 17 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) रखे हैं जिन्हें 2030 तक हासिल किया जाना है।
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दूसरे मुल्कों के साथ भारत ने भी साल 2015 में इन एसडीजी को हासिल करने का संकल्प लिया है। सतत विकास लक्ष्यों के तहत दूसरा लक्ष्य अगले 10 सालों में सभी देशों से भूख और हर प्रकार का कुपोषण खत्म करना है।
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इपसोस इंडिया के सीईओ अदारकर कहते हैं, “हालांकि भारत जैसे देश के लिए, जो बहुसंख्यक गरीबी में डूबा हैं, ये दीर्घकालिक लक्ष्य हैं। लिंग समानता की भी एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में पहचान की गई है। महामारी के बाद महिलाओं पर अधिक दबाव है। इसलिए, भारत में लैंगिक समानता अधिक प्रमुख हो गई है।”
यूएन के 193 सदस्य देशों की ओर से साल 2015 में 2030 एजेंडा के रूप में अपनाए गए 17 सतत विकास लक्ष्यों में पिछले साल भारत 115वें स्थान पर था।
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ताजा रिपोर्ट में यह दो पायदान नीचे आया है। वहीं अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक 2020 के दौरान भारत की बेरोजगारी दर बढ़ कर 7.11 फीसदी पर पहुंच गई। यह पिछले तीन दशक का सर्वोच्च स्तर है।