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नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने भाजपा नेताओं के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें उन्हें न्यूनतम आय योजना (न्याय योजना) पर कांग्रेस पार्टी को सलाह देने का कोई अफसोस नहीं है। यदि भाजपा ने भी कहा होता तो वह उनकी भी मदद करते।
दरअसल भाजपा नेताओं ने अभिजीत बनर्जी के नोबेल पुरस्कार मिलने पर प्रशंसा करते हुए न्याय कार्यक्रम के लिए उनके काम और उनके राजनीतिक झुकाव पर सवाल उठाया था। शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी कहा था कि बनर्जी के राजनीतिक विचार वाम की ओर झुकाव वाले हैं और लोगों ने उनकी न्याय योजना को खारिज कर दिया था।
गौरतलब है कि मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय ने भी ‘न्याय’ योजना की संकल्पना को लेकर बनर्जी की आलोचना की थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक बनर्जी ने कहा, ‘किसी चीज का लोग कैसे इस्तेमाल करते हैं इस पर आप नियंत्रण नहीं रख सकते हैं, लेकिन मैं यह सोचते हुए भी अपनी जिंदगी नहीं जी सकता हूं कि लोग मेरे कामों का किस तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं।’
बनर्जी ने कहा, कांग्रेस ने मुझसे पूरी तरह से वैध सवाल पूछा- एक निश्चित आय को लागू करने में कितना पैसा लगेगा। अगर भाजपा ने मुझसे यही संख्या मांगी होती तो मैं उन्हें दे देता। मैं पूरी तरह से राजनीतिक पूर्वाग्रह से मुक्त अच्छी नीति को प्रतिबंधित करने में विश्वास नहीं करता।
मालूम हो कि बनर्जी के साथ ही उनकी पत्नी एस्थर डफ्लो ने भी इसी साल अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार जीता है। उन्होंने कहा कि वह, बनर्जी और माइकल क्रेमर विभिन्न राज्य सरकारों- गुजरात, हरियाणा, पंजाब और तमिलनाडु के साथ काम कर रहे हैं, जिनमें अलग-अलग राजनीतिक विचारों की सरकारें हैं। अपने काम में हम वैचारिक लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं।
भारत की आर्थिक मंदी पर बनर्जी ने कहा कि भारत में आर्थिक मंदी एक वास्तविकता है और सरकार धीरे-धीरे इसे स्वीकार कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘पांच प्रतिशत अब अच्छा है और जल्द ही इससे भी कम हो जाएगा। पहले मुख्य संदेश यह था कि भारत बहुत अच्छा कर रहा है। अब जब हम स्पष्ट रूप से ऐसा नहीं कर रहे हैं, तो खतरा यह है कि चूंकि सरकार आर्थिक संदेश नहीं बेच सकती है, इसलिए चुनाव जीतने के लिए वह अन्य संदेशों का इस्तेमाल कर रही है।’
वहीं एस्थर डफ्लो ने कहा कि आर्थिक मंदी केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि चीन भी इससे प्रभावित है। यूरोप और अमेरिका में भी मंदी का डर पैदा हो गया है।
बनर्जी ने कहा कि कॉरपोरेट टैक्स को 35 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी करने के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के फैसले का देश की आर्थिक व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके बजाय, सरकार को गरीबों के हाथ में पैसा पहुंचाने के बारे सोचना होगा।
इसके साथ ही बनर्जी ने कहा कि जहां कारोबारियों की वेतन की सीमा निर्धारित करना जहां एक अच्छा विचार है, वहीं इसे लागू करना कठिन काम है। इसके बजाय अधिक आय पर अधिक कर लगाया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि अभिजीत बनर्जी समेत तीन लोगों को वैश्विक गरीबी को कम करने के लिए उनके प्रयोगात्मक दृष्टिकोण से किए गए काम के लिए नोबेल से सम्मानित किया गया है।
नोबेल मिलने के बाद बनर्जी ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था डगमगा रही है और वर्तमान में उपलब्ध आंकड़े बहुत जल्द देश की अर्थव्यवस्था के उबरने का आश्वासन नहीं देते।
मालूम हो कि नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है। इस समय वे मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर हैं।
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