न्यूज डेस्क
लोक सभा चुनाव के शोर के बीच बंगाल में हिंसा की चर्चा पूरे देश में जोरों पर है। बंगाल में जारी बवाल के बीच चुनाव आयोग ने बड़ी बैठक बुलाई है। चुनाव आयोग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बंगाल ऑब्जर्वर के साथ मीटिंग करेगा और हालात का जायजा लेगा।
इस बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और जमकर ममता बनर्जी पर हमला बोला। अमित शाह ने कहा कि बंगाल में जो घटनाएं हुई हैं, उसी की हकीकत बताने आया हूं।
देश में कहीं पर भी हिंसा नहीं हो रही है, लेकिन सिर्फ बंगाल में हो रही हैं। अमित शाह ने कहा कि टीएमसी के गुंडों ने ही उनकी बाइक और गाड़ियां जलाईं, अगर कल CRPF नहीं होती तो उनका जिंदा निकलना मुश्किल था।
दरअसल, अमित शाह कोलकाता में मंगलवार को रोड शो कर रहे थे। तभी कुछ उपद्रवियों ने ईश्वर चंद्र विद्यासगर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया। जिसके बाद बीजेपी अध्यक्ष के रोड शो के दौरान हिंसा शुरू हो गई। बीजेपी का कहना है कि टीएमसी कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला किया। वहीं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का कहना है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने ईश्वर चंद्र विद्यासगर की प्रतिमा तोड़ी और टीएमसी कार्यकर्ताओं की पिटाई की।
चौकीदार की तरह विद्यासागर कैंपेन
बंगाल में ईश्वर चंद्र विद्यासगर की प्रतिमा को तोड़े जाने को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है और इस बीच एक बार फिर सोशल साइट पर डीपी बदलने का सिलसिला शुरू हो गया है।
इस बार बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी डीपी बदली है। ईश्वर चंद्र विद्यासगर की प्रतिमा को तोड़े जाने को राजनीतिक मुद्दा बनाते हुए ममता बनर्जी ने अपने सोशल साइट्स की डीपी को बदलकर ईश्वर चंद्र विद्यासगर की फोटो लगा ली है। ममता बनर्जी के अलावा टीएमसी के तमाम बड़े नेताओं ने भी अपने सोशल अकाउंट पर ईश्वर चंद्र विद्यासगर की फोटो लगा ली है।
कौन हैं ईश्वर चंद्र विद्यासागर
ईश्वर चंद्र विद्यासागर के बचपन का नाम ईश्वर चन्द्र बन्दोपाध्याय था। वे बंगाल के पुनर्जागरण के स्तम्भों में से एक थे। इनका जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था, करमाटांड़ इनकी कर्मभूमी थी। वे उच्चकोटि के विद्वान थे। उनकी विद्वता के कारण ही उन्हें विद्दासागर की उपाधि दी गई थी।
ईश्वर चंद्र नारी शिक्षा के समर्थक थे। उनके प्रयास से ही कलकत्ता में अन्य स्थानों में बहुत अधिक बालिका विद्यालयों की स्थापना हुई। उस समय हिन्दु समाज में विधवाओं की स्थिति बहुत ही सोचनीय थी। उन्होनें विधवा पुनर्विवाह के लिए लोगमत तैयार किया। उन्हीं के प्रयासों से साल 1856 में विधवा-पुनर्विवाह कानून पारित हुआ। उन्होंने अपने इकलौते पुत्र का विवाह एक विधवा से ही किया।
विधवा पुनर्विवाह शुरू करने के साथ ही उन्होंने बाल विवाह का भी विरोध किया। साथ ही सती प्रथा के खिलाफ आवाज उठाकर नारी सम्मान की परंपरा शुरू की।
वे एक फिलॉसफर, एकेडेमिक, लेखक, ट्रांसलेटर, प्रकाशक , उद्यमी, सुधारक और समाजसेवी थे। उन्होंने बंगाली अल्फाबेट को दुबारा आकार दिया। बंगाली टॉपोग्राफी में सुधार किया। ईश्वर चंद्र विद्यासागर सुधारक के रूप में राजा राममोहन राय का उत्तराधिकारी माना जाता हैं।