जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने एक बार फिर बाजी मार ली है। इसके साथ ही ममता बनर्जी ने यहां पर जीत की हैट्रिक लगा डाली है।
बीते कुछ महीनों से बंगाल चुनाव को लेकर सियासी घमासान खूब देखने को मिला लेकिन बीजेपी वहां पर सत्ता हासिल करने में नाकाम रही है। बंगाल में बीजेपी हिंदू ध्रुवीकरण का बड़ा दांव खेल रही थी लेकिन यहां पर उसकी एक नहीं चली। इतना ही नहीं मोदी लहर को भी दीदी ने बड़ी आसानी से काबू कर लिया।
बंगाल का रण जीतने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। आलम तो यह है कि चुनाव की तारीख से ठीक कुुछ दिन पहले ही वहां पर बीजेपी का पूरा कुनबा ममता को रोकने के लिए जा पहुंचा था। बंगाल में ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस ने 215 सीट पर अपनी पकड़ बनायी है जबकि महज 75 सीटों पर आकर रूक गई है।
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अमित शाह ने हर बार 200 के जादुई आकड़े को बहुत आसानी से हासिल करने की बात कही थी लेकिन उनका यह सपना बंगाल में फिलहाल पूरा नहीं हुआ है।
ममता अकेले बीजेपी का मुकाबला करती नजर आईं
अगर देखा जाये तो बंगाल चुनाव में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। वहीं दूसरी ओर ममता अकेले ही बीजेपी का मुकाबला करती नजर आई। इतना ही नहीं नंदीग्राम में चुनाव प्रचार के दौरान घायल हो जाना भी बीजेपी के लिए मुश्किले लेकर आया।
ममता बनर्जी ने चोट के बावजूद व्हीलचेयर पर बैठकर जोरदार प्रचार करना भी काफी असरदार साबित होता नजर आया। इस वजह से सहानुभूति की फैक्टर से भी ममता की राह आसान हो गई।
चुनावी विश्लेषकों की माने तो बंगाल चुनाव में पीएम मोदी, अमित शाह लगातार ममता पर हमला करते नजर आये। इस दौरान दीदी ओ दीदी, दो मई-दीदी गईं, दीदी की स्कूटी नंदीग्राम में गिर गई जैसे बयान भी बीजेपी की लुटिया डुबोने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष का बरमूडा वाला बयान भी महिलाओं के बीच अच्छा संदेश नहीं गया। टीएमसी को इसका बड़ा फायदा हुआ।
बीजेपी की ये रणनीति हुई फेल
बीजेपी का पूरा फोकस 70-30 के ध्रुवीकरण पर था लेकिन यहां पर उसका दाव तब उल्टा पड़ गया जब ममता ने अपनी हर रैलियों में बीजेपी को इसी मुद्दे पर घेरते हुए कहा कि बंगाल को बांटने की साजिश की जा रही है। इसका नतीजा यह रहा कि अल्पसंख्यक वोट बैंक के मामले में भी बीजेपी का बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है।
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महिलाओं, मुस्लिमों, बांग्ला मानुष पर ममता की तगड़ी पकड़ अब भी देखी जा सकती है।तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल को चाहिए अपनी बेटी का नारा देकर महिला वोटरों को अपनी तरफ मोड लिया।
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जानकारों की माने तो बंगाल चुनाव में बीजेपी के पास कोई सीएम का चेहरा नहीं था। इतना ही नहीं ममता के खिलाफ ना ही कोई तेजतर्रार महिला नेता था जो ममता के हमला का जवाब उन्हीं के अंदाज में देता।