प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. कोरोना की महामारी आयी तो बाज़ारों को बंद करा दिया गया. लोग संक्रमण से बच सकें इसलिए दुकानों के शटर खोलने पर पाबंदी लग गई. समय के साथ ढील की प्रक्रिया शुरू हुई. धीरे-धीरे बाज़ार सामान्य रूप से खुलने लगे लेकिन साप्ताहिक बाज़ार अब तक बंद हैं.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आलमबाग, निशातगंज, अमीनाबाद, सदर और नक्खास में साप्ताहिक बाज़ार लगते रहे हैं. इन बाज़ारों के अलावा नक्खास में हर रविवार एक विश्वप्रसिद्ध बाज़ार भी लगता है. इस बाज़ार के बारे में कहा जाता है कि दुनिया की कोई चीज़ ऐसी नहीं है जो यहाँ न मिलती हो.
कोरोना शुरू होने के समय पूरे उत्तर प्रदेश में बाज़ार बंद करा दिए गए थे. लॉकडाउन खत्म होने के बाद सभी बाज़ार खुलने लगे. नक्खास का सन्डे बाज़ार भी खुल गया लेकिन साप्ताहिक बाज़ारों को स्थानीय पुलिस ने नहीं लगने दिया.
साप्ताहिक बाज़ार व्यापारी कल्याण समिति के पदाधिकारी वसी उल्ला आज़ाद ने बताया कि साप्ताहिक बाज़ार उत्तर प्रदेश के हर शहर में लगते हैं. सभी शहरों में यह बाज़ार शुरू भी हो चुके हैं लेकिन लखनऊ में अब तक इसकी अनुमति नहीं मिली है.
व्यापारी नेता अनिल सक्सेना ने बताया कि इन बाज़ारों में करीब तीन हज़ार दुकानें हैं. इनमें 300 बड़ी दुकानें लगती हैं. इन बाज़ारों की आमदनी से करीब दस हज़ार लोगों की रोजी-रोटी चलती है. बाज़ार बंद होने से लोग भुखमरी की कगार पर पहुँच चुके हैं.
व्यापारियों ने इस सम्बन्ध में लखनऊ के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस कमिश्नर को भी पत्र लिखे. प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा को भी चिट्ठी लिखी. सैकड़ों व्यापारियों ने वसी उल्ला आज़ाद के नेतृत्व में ईदगाह ऐशबाग के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगीमहली से भी मुलाक़ात की.
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मौलाना खालिद रशीद ने साप्ताहिक बाज़ार के व्यापारियों की समस्याओं के सम्बन्ध में उप मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है.
व्यापारी नेता अनिल सक्सेना ने कहा कि अनलॉक-5 के बाद सब कुछ खुल गया है लेकिन साप्ताहिक बाज़ार अब तक नहीं खुले हैं. हालात ऐसे ही रहे तो हज़ारों लोग भूख से दम तोड़ देंगे.