जुबिली न्यूज डेस्क
लखनऊ, उत्तर प्रदेश में मौसम का मिजाज अचानक बदल गया है। बीते 24 घंटों में राज्य के कई जिलों में तेज आंधी, बारिश और ओलावृष्टि की घटनाएं हुई हैं। इससे फसलों और संपत्ति को व्यापक नुकसान पहुंचा है। कुछ जिलों से जनहानि और पशुहानि की खबरें भी सामने आई हैं। मौसम विभाग ने प्रदेश के अधिकतर हिस्सों में 20 अप्रैल तक येलो अलर्ट जारी किया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हालात को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि राहत और बचाव कार्य में किसी भी प्रकार की ढिलाई न बरती जाए। उन्होंने कहा कि जिन जिलों में जान-माल का नुकसान हुआ है, वहां तुरंत आर्थिक सहायता प्रदान की जाए और घायलों का समुचित इलाज कराया जाए।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस समय प्रदेश में सरकारी गेहूं खरीद का कार्य चल रहा है। ऐसे में मंडियों और खरीद केंद्रों पर गेहूं का सुरक्षित भंडारण सुनिश्चित किया जाए, ताकि किसानों को नुकसान न हो। उन्होंने फसलों के नुकसान का त्वरित सर्वे कर रिपोर्ट शासन को भेजने के निर्देश भी दिए हैं।
मौसम विभाग ने जारी किया येलो और ऑरेंज अलर्ट
मौसम विभाग ने प्रदेश के अधिकतर हिस्सों में 20 अप्रैल तक येलो अलर्ट जारी किया है। वहीं, कुछ जिलों में ऑरेंज अलर्ट भी जारी किया गया है, जहां तेज हवाओं के साथ ओलावृष्टि और बिजली गिरने की संभावना जताई गई है।
झांसी में शुक्रवार को तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जबकि लखनऊ में अधिकतम तापमान 36 डिग्री दर्ज किया गया। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, पश्चिमी विक्षोभ और उत्तर-पूर्वी हवाओं के कारण अगले 72 घंटों तक मौसम में बदलाव की संभावना बनी हुई है। वातावरण में अधिक नमी के चलते आंधी और बारिश की घटनाएं हो रही हैं।
किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान
इस मौसम के बदलाव से सबसे अधिक प्रभावित किसान हुए हैं। मार्च से मई के बीच गर्मी के दौरान जब फसलें कटाई के लिए तैयार होती हैं, ऐसे समय में ओले और बारिश के कारण खड़ी या कटी हुई फसलें बर्बाद हो जाती हैं। इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। सरकार ने आश्वासन दिया है कि प्रभावित किसानों को हर संभव मदद दी जाएगी।
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सीएम योगी की जनता से अपील
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं। राज्य सरकार पूरी तरह से सतर्क है और हर नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैयार है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जलभराव की स्थिति में तत्काल निकासी की व्यवस्था की जाए और आवश्यक सेवाएं बाधित न हों।