जुबिली पोस्ट ब्यूरो
लखनऊ। हमीरपुर जिले के आधा दर्जन से अधिक गांवों में पानी के लिये हालात भयावह होने लगे हैं। हर साल पेयजल योजनाओं को जमीन पर दौड़ाने के नाम पर कई करोड़ की धनराशि ठिकाने लगने के बाद भी इन बीहड़ गांवों के बाशिन्दों को पानी के संकट से निजात नहीं मिल सकी है। इन दिनों ग्रामीण नदी नालों से बैलगाड़ियों की मदद से पानी ढोने में जुटे हैं।
हमीरपुर जिले का मौदहा तहसील क्षेत्र बांदा सीमा से जुड़ा है। इस क्षेत्र के आधा दर्जन से अधिक गांवों में इन दिनों भीषण गर्मी के कारण पानी के लिये लोगों में हाहाकार मचा हुआ है।
जल निगम के मुताबिक करीब चार दशक पहले केन नदी के बीहड़ इलाकों में बसे छानी, बक्छा, गुसियारी, रतवा, फत्तेपुर, इचौली, नायकपुरवा व कपसा सहित अन्य गांवों के बाशिन्दों की प्यास बुझाने के लिये विश्व बैंक की सहायता से केन नदी के भूरागढ़ के पास कई करोड़ की लागत से एक ग्राम समूह पेयजल योजना तैयार की थी लेकिन ये महत्वाकांक्षी पेयजल योजना धरातल पर आते ही धड़ाम हो गयी।
चिलचिलाती धूप में केन नदी से पानी भरने को लेकर ग्रामीणों में शुरू हुई जद्दोजहद, कई करोड़ की धनराशि पेयजल योजनाओं में लगी, फिर भी नहीं मिली निजात
इस पेयजल योजना के बोल जाने के बाद करीब 11 साल पूर्व एक करोड़ से अधिक की लागत की कपसा, गुसियारी में जलापूर्ति कराने के लिये सिजवाही ग्राम समूह पेयजल योजना शुरू की गयी। शुरुआती दौर में तीन नलकूप बनाये गये। ओवर हेड टैंक बनाकर कपसा गांव तक पानी पहुंचाने की कवायद की गयी मगर इससे गुसियारी गांव के लोगों को पानी नसीब नहीं हो सका।
अर्से बाद पेयजल योजना के दोनों नलकूप ही बंद हो गये। पेयजल की किल्लत को लेकर फिर दो नये नलकूप बनवाये गये। जलनिगम ने भूमिगत जलाशय बनाकर टंकी भरने व कपसा गांव में पानी की आपूर्ति करने के फिर दावे किये थे, लेकिन कपसा गांव के निकट पेट्रोलपंप के आगे एक मकान तक ही पानी की आपूर्ति हो सकी।
पानी का संकट लगातार गहराने के बाद जलनिगम ने फिर से एक कार्ययोजना बनायी। कई करोड़ की लागत से एक नयी पेयजल योजना तैयार कर इचौली गांव के लिये दो नलकूप बनवाये गये लेकिन नाले के किनारे तक ही जलापूर्ति हो सकी।
जलनिगम के अभियंता रामरतन ने गुरुवार को दोपहर बताया कि पानी की समस्या से जूझ रहे गांवों को जलापूर्ति कराने के लिये एक बड़ी पेयजल योजना पिछले साल तैयार की गयी थी। जिसमें यमुना नदी से पत्यौरा गांव के पास लिफ्ट से पानी देने का प्रावधान किया गया है, लेकिन इस योजना को लेकर अभी तक कोई मंजूरी नहीं मिली है।
इधर बक्छा समेत कई गांवों में पानी के लिये हालात भयावह हो रहे है। गांवों के हजारों लोग इन दिनों केन नदी से बैलगाड़ियों की मदद से ड्रमों में पानी ढोने को मजबूर हैं। क्षेत्र के भैंसमरी गांव में भी पानी के लिये लोगों में जद्दोजहद मची है।
जल निगम के अभियंता रामरतन ने बताया कि बक्छा गांव में बनायी गयी भैसमरी में पेयजल योजना फेल हो चुकी है। गुसियारी गांव में चार नलकूपों के बोरिंग का कार्य कराया गया है। कपसा गांव में दो नलकूपों के बोरिंग करायी गयी है। वहीं नायकपुरवा व इचौली में भी चार नलकूपों की बोरिंग का कार्य कराया गया है।
उन्होंने बताया कि करीब 4 करोड़ की धनराशि से इन दोनों गांवों में पंपहाउस बनाये जायेंगे साथ ही पेयजल योजना में दोनों गांवों में जलापूर्ति के लिये पाइपलाइन का निर्माण कार्य कराया जायेगा। पेयजल योजना का कार्य पूरा होने के बाद इन दोनों गांवों में जलापूर्ति होगी।
अभियंता ने बताया कि बांदा के भूरागढ़ से शुरू में इचौली व नायकपुरवा में पेयजल योजना से जलापूर्ति कराने के लिये जलसंस्थान बांदा को जिम्मेदारी है जो इन दिनों प्राइवेट नलकूपों को किराये पर लेकर पेयजल की समस्या दूर कर रहे है। इधर जिले के सुमेरपुर, इंगोहटा समेत कई गांवों में पानी का संकट गहरा गया है। गांवों में लगे हैण्डपंप भी बड़ी संख्या में दगा दे गये हैं।