जुबिली न्यूज डेस्क
दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन इन दिनों युद्ध क्षेत्र जैसी दिख रही है। दूसरों देशों में शांति बहाल करने वाला अमेरिका खुद अशांत दिख रहा है।
नए राष्ट्रपति जो बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के शपथ ग्रहण समारोह से कुछ घंटों पहले अमेरिका में एक अभूतपूर्व स्थिति बनी हुई है। वाशिंगटन किले में तब्दील हो गया है। ना सिर्फ वॉशिंगटन, बल्कि सभी 50 राज्यों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
दरअसल कई लोगों को ट्रंप समर्थक समर्थकों की ओर से की गई कैपिटल हिल हिंसा को दोहराए जाने का डर सता रहा है।
कैपिटल की ओर जाने वाले सड़कों पर हजारों की संख्या में सुरक्षाकमी तैना हैं। शहरों में जगह-जगह रोड ब्लॉक लगाए गए हैं। चेहरों को ढँके हथियारबंद सुरक्षाकर्मी गाडिय़ों की जांच कर रहे हैं और ट्रैफिक को रास्ता भी दिखा रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शहर में नेशनल गार्ड्स के 25 हजार जवानों की तैनाती की गई है। इस बीच कई सुरक्षाकर्मियों की जांच भी हो रही है, जिन पर शक है कि उन्होंने 6 जनवरी को हुए कैपिटल हिल हिंसा में उपद्रवियों का साथ दिया था।
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मीडिया रिपोर्ट्स में हथियारबंद हमले की आशंका भी जताई जा रही है। पुलिस की गाड़ी सड़कों पर गश्त लगा रही है और हेलिकॉप्टर से गतिविधियों पर पर नजर रखी जा रही है। इतना ही नहीं सड़कों पर कई सारे सफेद रंग के टेन्ट लगे हैं, जो कुछ दिनों के लिए सुरक्षाकर्मियों के घर बन गए हैं।
इसके अलावा कई मेट्रो स्टेशन को भी बंद कर दिया गया है। बड़े क्षेत्र में गाडिय़ों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है साथ ही कैपिटल कॉम्प्लेक्स को जनता के लिए बंद कर दिया गया है और 20 जनवरी को जनता कैपिटल ग्राउंड नहीं जा सकेगी।
कैपिटल पुलिस ने अपने बयान में कहा है, “कोई भी अगर गैरकानूनी रूप से कैपिटल ग्राउंड पर लगे फेंस (एक तरह का बैरिकेड) को पार करके या किसी अन्य गैरकानूनी तरीके से घुसने की कोशिश करता है, तो उस पर बल प्रयोग होगा और गिरफ्तारी भी होगी।”
वॉशिंगटन को दूसरे शहरों से जोडऩे वाले ब्रिजों को और पास में स्थित वर्जिनिया को भी बंद रखा जाएगा।
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बदली अमेरिका की राजनीति
बीते दो सप्ताह में अमेरिका की राजनीति तेज़ी के साथ बदली है। 6 जनवरी को वॉशिंगटन के उसी इलाके में ट्रंप समर्थक आक्रामक हो गए थे। सैकड़ों की संख्या में ट्रंप समर्थक कैपिटल हिल की सुरक्षा को तोड़ते हुए अंदर दाखिल हो गए और हिंसा किए। हिंसा की तस्वीरें अमेरिकी मीडिया ने ख़ूब दिखाईं और जिसे देखकर रिपब्लिकन भी इसके विरोध में खड़े हुए।
दो बार महाभियोग झेलने वाले ट्रंप का चुनाव नतीजों को मानने से इनकार करना और इसमें बिना सबूत धोखाधड़ी का आरोप लगाना 6 जनवरी को हुई हिंसा का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है।
घरेलू आतंकवादी पर बहस हुई तेज
कैपिटल हिल की हिंसा ने घरेलू आंतकवादियों को लेकर जारी बहस को और बढ़ा दिया है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि दक्षिणपंथी उग्रवाद और श्वेत वर्चस्ववादियों के खतरों पर कार्रवाई करने में पुलिस और अन्य सरकारी एजेंसियों की रफ्तार धीमी है।
इसकी तुलना मुस्लिम आतंकवाद को लेकर कानूनी कार्रवाई में दिखाई गई तेजी से की जा रही है। डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी की एक रिपोर्ट कहती है- श्वेत वर्चस्ववादी चरमपंथी देश के सामने लगातार सबसे बड़ा ख़तरा बने रहेंगे।
नव निर्वाचित राष्ट्रपति बाइडन ने कैपिटल हिल हमले के बाद कहा था, ”उन्हें प्रदर्शनकारी ना कहें, वो एक दंगाई भीड़ थी, देशद्रोही और घरेलू आतंकवादी, “हालांकि दोनों पार्टियों वाली कांग्रेस रिसर्च के अनुसार ”एफ़बीआई औपचारिक तौर पर किसी भी संस्था को ‘घरेलू आतंकवादी’ नहीं मानती।”
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कैपिटल हिल पर हुए हमले के बाद कांग्रेस इससे जुड़े कानून और नीतियों में बदलाव के बारे में विचार कर सकती है और इस तरह के घरेलू आतंकवाद को एक संघीय अपराध की श्रेणी में ला सकती है।