Tuesday - 29 October 2024 - 9:57 AM

वारिस पठान और गिरिराज सिंह एक ही आदमी हैं

सुरेंद्र दुबे 

कर्नाटक के गुलबर्गा में 19 फरवरी को सीएए विरोधी रैली में लोगों को संबोधित करते हुए वारिस पठान ने जहर उगला कि 100 करोड़ पर 15 करोड़ भारी पड़ेंगे। जाहिर है उनका मतलब था कि 100 करोड़ हिंदुओं पर 15 करोड़ मुसलमान भारी पड़ेंगे।

वारिस पठान जैसे नेताओं के पास विरासत घृणास्‍पद बयानों के अलावा कुछ नहीं है। इसलिए जब बोलते हैं तब गंदा ही बोलते हैं ताकि जनता को पता चल जाए कि उनके मुंह से बदबू आ रही है।

इसी बयान के को लेकर उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ है। डैमज कंट्रोल करते हुए AIMIM ने इन पर मीडिया में बयान देने पर रोक लगा दी है। पर जनता को यह बात अच्‍छी तरह मालुम है कि इन्‍हें इस तरह के बयानों के लिए ही ट्रेंड किया गया है। इस‍लिए अक्‍सर इनके बयान सोशल मीडिया पर ट्रेंड करते रहते हैं।

अब इनके जवाब में गिरिराज सिंह कैसे चुप बैठते। इसलिए उन्‍होंने भी मुंह खोल दिया और बदबू फैला दी। उन्‍होंने वारिस पठान के विवादित बयान को लेकर कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कथित ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ से पूछा है कि ‘क्या ये हिंदुस्तान को पाकिस्तान बनाना चाहते हैं।’

गिरिराज सिंह ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, “ओवैसी का भाई-15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो, 100 करोड़ हिंदुओं को बता देंगे। वारिस पठान -15 करोड़, 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे। ओवैसी के मंच से ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’. कांग्रेस, राजद और टुकड़े-टुकड़े गैंग से पूछना चाहते हैं क्या ये हिंदुस्तान को पाकिस्तान बनाना चाहते हैं?”

इसके पहले पूर्णिया में मीडिया से बात करते हुए वह कह चुके हैं 1947 में ही सभी मुसलमानों को पाकिस्तान भेज दिया जाता तो आज ये हालात न होते। उन्होंने कहा, ‘उस समय हमारे पूर्वजों से बहुत बड़ी भूल हुई। अगर तभी मुसलमान भाइयों को वहां (पाकिस्तान) भेज दिया जाता और हिंदुओं को यहां बुला लिया जाता तो आज यह नौबत ही नहीं आती। अगर भारत में ही भारतवंशियों को जगह नहीं मिलेगी तो दुनिया में ऐसा कौन सा देश है जो उन्हें शरण देगा।

अगर हम वारिस पठान और गिरिराज सिंह के बयान को देखें तो पता चलेगा कि ये दोनों एक ही व्‍यक्ति द्वारा दिए गए दो बयान हैं। अगर वारिस पठान कट्टर हिंदू होते तो गिरिराज सिंह की तरह बयान देते और गिरिराज सिंह मुसलमान होते तो वारिस पठान की ही तरह बयान दे रहे होते। ये दोनों नेता कट्टरपंथी विचारधारा के प्रतीक हैं।

दोनों की भाषा और इरादे एक हैं। आप चाहें तो इन्‍हें एक प्राण दुई गात की भी संज्ञा दे सकते हैं। जब तक हम इस बात को नहीं समझेंगे इन जैसे नेताओं के झांसे में आकर अपनी गंगा-जमुनी तहजीब को बुरा भला कहते रहेंगे।

कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने वारिस पठान की तुलना मुहम्मद अली जिन्ना से की थी और ये कहा था कि देश में दूसरा जिन्ना अब पैदा नहीं होने दिया जाएगा। जिन्‍ना भी एक व्‍यक्ति नहीं नफरत की आंधी के प्रतीक थे। अब जिन्‍ना के पैदा होने की जरूरत भी नहीं रह गई है।

न जाने कितने जिन्‍ना गली-गली नफरत फैलाते घूम रहे हैं। आज गांधी नहीं बल्कि जिन्‍ना ज्‍यादा चर्चा में हैं। क्‍योंकि गांधी स्‍कूलों के पाठ्यक्रम तक सीमित हो गए हैं और जिन्‍ना आउट ऑफ कोर्स पढ़ाए जा रहे हैं।

वारिस पठान के बयान पर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने शुक्रवार को कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी समेत अन्य नेताओं की चुप्पी पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि इन सभी ‘तथाकथित उदारवादियों’ के हाथ में संविधान है और दिल में वारिस पठान।’

जो लोग रोज रात न्‍यूज चैनलों पर चलने वाले तमाशे को देखते हैं उन्‍हें मालुम है कि संबित पात्रा के दिल में भी वारिस पठान ही है। हमेशा विवादास्‍पद या कहें देश को टुकड़े-टुकड़े गैंग के रूप में ही देखते हैं। ऐसा लगता है इस देश पर अलगाववादियों के कई गुटों की दबंगई चल रही है और इस तरह के सारे नेता देश जोड़ने के नाम पर तोड़ने के दुष्‍चक्र में ही लगे रहते हैं।

ऐसा नहीं है कि छुट भइये नेताओं के ही मुंह से बदबू आ रही है। देवेंद्र फडणवीस जैसे नेता भी गंदगी उगलने से बाज नहीं आते, जो महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री रह चुके हैं। उन्‍होंने भी मुसलमानों को धमकी दे दी कि इस देश में 100 करोड़ हिंदू रहते हैं इसलिए मुसलमान सुरक्षित हैं। कहने का मतलब ये है कि अधिकांश नेता एक ही धर्म और जाति के हैं। ये न तो हिंदू हैं और न ही मुसलमान हैं। इनका काम सिर्फ नफरत फैलाना और देश को टुकड़ों में बांटना है।

बीजेपी नेता साक्षी महाराज ने कहा, ‘जिहादी मुसलमान इस देश को गृह युद्ध की ओर ले जा रहे हैं। वारिस पठान और शरजील के इरादे गजवा-ए-हिंद के हैं,  वे लोग उसी पर काम कर रहे हैं,  इसपर सरकार गंभीरता से विचार करके कार्रवाई करनी पड़ेगी।

यह तो अच्छा है कि सीएए लाकर मोदीजी ने आस्तीन के सांपों को बाहर निकाल लिया है। अगर यह काम न होता तो बहुत देर हो गई होती। अच्छी बात यह है कि देश के राष्ट्रवादी मुसलमान इस तरह के बयानों का खुलकर विरोध कर रहे हैं।

जाहिर है राष्‍ट्रवादी मुसलमान वही हैं जो भाजपा के समर्थक हैं। यही इस समय इस देश की सबसे बड़ी समस्‍या है। सबकी अपनी परिभाषाएं हैं। एक वर्ग जिसे राष्‍ट्रवादी मानता है दूसरा वर्ग उसी को राष्‍ट्रविरोधी मान लेता है। क्‍योंकि असली समस्‍या यही है कि एक ही आदमी के तमाम चेहरे हैं और तमाम नाम हैं। किसी के सिर पर साफा है तो किसी के सिर पर टोपी है। पर दोनों की आत्‍मा एक है। दोनों की जुबान एक है। पर भगवान ने हमें दो कान दिए हैं एक से सुनिए और दूसरे से निकाल बाहर कीजिए। जनता तमाशबीन रहे इसमें कोई खास हर्ज नहीं है बस उसे तमाशे को समझना चाहिए।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं) 

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