Tuesday - 29 October 2024 - 3:01 AM

छह दिन किया हाईकमान का इंतजार फिर पायलट ने थाम लिया स्टेयरिंग

शबाहत हुसैन विजेता

अपनी लगातार अनदेखी से नाराज़ सचिन पायलट पिछले छह दिन से दिल्ली में इस कोशिश में लगे थे कि राहुल और प्रियंका गांधी उनका दर्द सुन लें. राहुल-प्रियंका के पास सचिन से मुलाक़ात के लिए वक्त नहीं है. सचिन बगैर मुलाकात जयपुर रवाना हो गए हैं.

कांग्रेस हाईकमान ने सचिन पायलट को स्पष्ट सन्देश भेज दिया है कि राजस्थान के बॉस अशोक गहलोत ही रहेंगे. हाईकमान ने इससे पहले सचिन को कांग्रेस महासचिव पद ऑफर किया था जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था. राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार होना है. मंत्रियों के नौ पद खाली हैं. सचिन चाहते हैं कि उनके सात समर्थकों को मंत्रिमंडल में जगह दे दी जाए. सचिन की इस चाह पर कोई बात करने को तैयार नहीं है.

सचिन पायलट राजेश पायलट के बेटे हैं. जिस तरह राहुल गांधी से सचिन के करीबी सम्बन्ध हैं ठीक वैसे राजेश पायलट के राजीव गांधी से सम्बन्ध थे.

कांग्रेस छोड़ बीजेपी में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया भी राहुल गांधी के बेहद करीबी थे. ज्योतिरादित्य के पिता माधव राव सिंधिया राजीव गाँधी के सबसे करीबी नेताओं में थे.

अभी हाल में राहुल गांधी के करीबी साथी जितिन प्रसाद बीजेपी में शामिल हुए हैं. जितिन प्रसाद के पिता कुंवर जितेन्द्र प्रसाद शाहजहांपुर के सांसद थे, इन्दिरा गांधी के बेहद करीबी लोगों में गिने जाते थे.

थोड़ा और पीछे चले जाएं तो वाई.एस.आर. रेड्डी के असामयिक निधन के बाद उनके बेटे जगन मोहन रेड्डी ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा पेश किया था, जिसे कांग्रेस हाईकमान ने ठुकरा दिया था. हाईकमान ने जगन को कैबिनेट मंत्री का पद ऑफर किया लेकिन जगन ने उसे ठुकरा दिया. जगन ने कांग्रेस से अलग होकर अपने पिता की बनाई ज़मीन पर आगे का सफ़र तय करने का फैसला किया और नतीजा सामने है कि जगन मुख्यमंत्री हैं.

विधानसभा चुनाव के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट दोनों मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे. सिंधिया ने मध्य प्रदेश में और सचिन ने राजस्थान में पार्टी को जिताने के लिए रात-दिन एक कर दिया था. सरकार बनाने की नौबत आई तो दोनों जगह वरिष्ठ नेताओं को तरजीह दी गई. कमलनाथ तो अपनी सरकार को संभाल भी नहीं पाए.

कांग्रेस जिन हालात से गुज़र रही है उसमें बनी-बनाई सरकारों को भी वह संभाल नहीं पा रही है. लोकसभा में भी वह जिस हालात में है उसमें न वह वरिष्ठ नेताओं के लिए कुछ कर सकती है न युवा नेताओं को ही कुछ दे सकती है.

सचिन पायलट साल भर से नाराज़ हैं. कांग्रेस हाईकमान तो अपने नाराज़ युवा नेताओं के कंधे पर भरोसे का हाथ भी नहीं रख पा रही है.

जिस पार्टी के लिए युवा नेता रात-दिन एक कर देते हैं उस पार्टी में अगर उनकी बात भी नहीं सुनी जाए तो फिर वह उन पार्टियों की तरफ क्यों न देखें जो उनके लिए पलक पांवड़े बिछाए हुए है. सिंधिया और जितिन के बाद सचिन नाराज़ हैं तो राहुल प्रियंका के पास वक्त नहीं है उनसे बात करने का.

सवाल यह है कि कांग्रेस नेतृत्व के पास जब भरोसे लायक युवा टीम ही नहीं होगी तो फिर वह किसके भरोसे सत्ता में वापसी का ख़्वाब देख पाएंगे.

ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी छोड़कर गए तो कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कहा कि अच्छा हुआ चले गए. जितिन गए तो कांग्रेस के ही कुछ नेता बोले कि वह अपनी सीट तक नहीं जीत पाए तो किस काम के थे. अब सचिन की नाराजगी को कम करने की कोई कोशिश नज़र नहीं आती.

पंजाब में कैप्टन अमरिन्दर सिंह और नवजोत सिद्धू के बीच खिंची तलवारों को म्यान में रखवाने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने कुछ कोशिश की भी लेकिन वह कोशिश भी किसी मुकाम तक नहीं पहुँच पाई. हालात तो यही बताते हैं कि अगले साल होने वाले पंजाब चुनाव में कांग्रेस को वापसी के लिए लोहे के चने चबाने पड़ेंगे.

यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : बिना परीक्षा पास करने का अहसान क्यों किया सरकार

यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : यहाँ मर गया एक महानगर वहां आंकड़ों में सुधार है

यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : नदियों में लाशें नहीं हमारी गैरत बही है

यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : हर तरह मौत है, हर तरफ तबाही है

अगले साल पंजाब में भी चुनाव है. पंजाब में सिद्धू खुश नहीं हैं और उत्तर प्रदेश में जितिन की शक्ल में एक झटका लगा है. राजस्थान के हालात बहुत बेहतर नहीं हैं. सचिन ने फिलहाल बीजेपी में नहीं जाने की बात कही थी लेकिन छह दिन मुलाक़ात के लिए उसका इंतज़ार जो हाईकमान होने के साथ दोस्त भी हो. सचिन पायलट बगैर मुलाक़ात जयपुर चले गए हैं. जयपुर में अब कोई खिचड़ी पक जाए तो कांग्रेस एक और राज्य से अपना हाथ ढो सकती है.

देश की सबसे पुरानी पार्टी और देश पर सबसे ज्यादा समय तक हुकूमत करने वाली कांग्रेस अगर अपने उन नेताओं को भी संभाल पाने में सक्षम नहीं है जिन्हें दोस्तों की शक्ल में देखा जाता है तो यह समझ लेना चाहिए कि कांग्रेस ने अपने मौजूदा हालात के आगे आत्मसमर्पण करने का फैसला कर लिया है.

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com