न्यूज डेस्क
देश के कुछ नेताओं को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से राजनीति की क्लास लेनी चाहिए। जनता का नेता कैसे बना जाता है उनसे सीखना चाहिए। बीजेपी अच्छे से जानती है कि मुस्लिम उनसे दूरी बनाकर रखते हैं, बावजूद आज तक पीएम मोदी ने ऐसी कोई बात नहीं की जिससे मुस्लिम समाज आहत हो, अलबत्ता वह उनके लिए योजनाएं लाकर उन्हें अपने पक्ष में करने में जुटे हैं।
मोदी अक्सर अपने भाषण में कहते हैं- जिन्होंने वोट दिया वो भी हमारे जिन्होंने वोट नहीं दिया वह भी हमारे। जिन्होंने सीट दी वह क्षेत्र भी हमारा है और जिन्होंने सीट नहीं दी वह भी हमारा है।
देश में कई ऐसे नेता है जो खुलकर अपने वोट बैंक की हिमायत करते हैं और शायद इसीलिए चुनावों में उनकी ये दुर्दशा हो रही है।ऐसा ही एक मामला कर्नाटक में सामने आया है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने वाईटीपीएस के कर्मचारियों से कहा- ‘आपने नरेंद्र मोदी को वोट किया और काम आप मुझसे करवाना चाहते हैं! आप मुझसे चाहते हैं कि मैं आपका आदर करूं। क्या मुझे आप पर लाठीचार्ज कराना चाहिए? चले जाइये यहां से।’
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को रायचूर जिले में येरमरूस थर्मल पावर स्टेशन (वाईटीपीएस) के कर्मचारियों द्वारा अपनी मांगों की सूची सौंपने के लिए काफिले का रास्ता रोकना नागवार गुजरा।
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जब कर्मचारियों का एक समूह 26 जून को मुख्यमंत्री के पास पहुंचा तो वह उन पर भड़क गए। कुमारस्वामी अपने ‘ग्राम वास्तव्य’ (गांव प्रवास) कार्यक्रम के लिए प्रदेश के रायचूर में थे, जहां कर्मचारियों के समूह ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से संपर्क किया और नारेबाजी की। उनकी मांगों में रोजगार का वादा नहीं पूरा किया जाना भी शामिल था। उन्होंने यह भी कहा कि बिजली संयंत्र के लिए उनकी जमीन लेते समय उन्हें रोजगार देने का वादा किया गया था।
वाईटीपीएस के कर्मचारी मुख्यमंत्री से अपनी परेशानी बताने आए थे और कुमारस्वामी ने उन्हें कड़ी फटकार लगाकर भगा दिया। मुख्यमंत्री के इस बर्ताव पर सवाल उठना लाजिमी है। जाहिर है वह प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं तो उनकी जिम्मेदारी पूरे प्रदेश की जनता के लिए बराबर है, न कि सिर्फ उन्हें वोट देने वालों के लिए।
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मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के इस आचरण की भाजपा और प्रदेश पार्टी प्रमुख बीएस येदियुरप्पा ने आलोचना की और कहा कि मुख्यमंत्री से मिलने की इच्छा रखने वाले लोगों पर चीखना-चिल्लाना लोकतंत्र के खिलाफ है।
कुमारस्वामी ने दी सफाई
मामले की गंभीरता को समझते हुए मुख्यमंत्री ने अपने बयान पर सफाई दी। बाद में कुमारस्वामी ने एक चैनल से कहा कि उन्होंने कर्मचारियों की समस्या के समाधान के लिए 15 दिन का वक्त मांगा था लेकिन उन्होंने सड़क जाम कर दी और इससे उन्हें गुस्सा आ गया। उन्होंने पूछा कि अगर प्रधानमंत्री का काफिला रोका जाएगा तो क्या कोई स्वीकार करेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह सरकार सहिष्णु है लेकिन अक्षम नहीं है और उसे पता है कि ऐसी स्थितियों से कैसे निपटा जाए।’
बाद में करेगुड्डा गांव में लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कहा कि भविष्य में वह इस बात की सावधानी बरतेंगे कि उनके बोले गए शब्दों को कहीं अपराध न समझा जाए। हालांकि उन्होंने तंज करते हुए कहा- ‘मोदी का नारा लगाने से उद्देश्यों की पूर्ति नहीं होगी क्योंकि आपकी आवाज दिल्ली तक नहीं पहुंचेगी।’ उन्होंने कहा, ‘मैं ही हूं जिसे आपकी आवाज सुननी है और चीजें दुरुस्त करनी है।’
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भाजपा पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि अगर जरूरी हुआ तो दिल्ली में मोदी से मुलाकात करने तथा केंद्र द्वारा किए गए कार्यों का लाभ लेने के लिए वह येदियुरप्पा और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए राज्य सरकार के कोष से विशेष ट्रेन की व्यवस्था कर देंगे।
भाजपा ने दी आंदोलन की चेतावनी
कर्नाटक भाजपा ने मुख्यमंत्री के इस रवैये की निंदा की है और कहा है कि अगर उन्होंने लोगों से माफी नहीं मांगी तो राज्यव्यापी प्रदर्शन किया जाएगा। कुमारस्वामी की आलोचना करते हुए येदियुरप्पा ने कहा कि गांव में ठहरने के कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों की शिकायतें सुनना था।
येदियुरप्पा ने कहा, ‘कई किलोमीटर चलकर आपसे मिलने के लिए पहुंचे लोगों को लाठीचार्ज करने की धमकी देना लोकतंत्र के खिलाफ है। संभवत: लोकसभा चुनाव में हार की वजह से मुख्यमंत्री अपना आपा खो बैठे।’