- पांचवे दीपोत्सव का सर्टिफिकेट भी वालंटियर्स को नहीं दे पाया अवध विश्वविद्यालय
- दीपोत्सव बाद होगा ‘वालंटियर्स सम्मान’ आयोजन- प्रो अजय प्रताप सिंह, नोडल अधिकारी
ओम प्रकाश सिंह
अयोध्या। जिस दिव्य दीपोत्सव पर योगी सरकार इतराती है, अयोध्या इठलाती है उसके कई स्याह पक्ष भी हैं। दीयों की ठेकेदारी प्रथा से खरीद, वालंटियर्स को सम्मान का अभाव, सुरक्षा कारणों से जनसहभागिता ना होना स्याह पक्ष हैं।
इसके बाद भी लाखों दीयों की जगमगाहट में जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विश्व रिकॉर्ड बनाने की घोषणा करते हैं तो दीयों को जलाने वाले वालंटियर्स अपना दर्द भूल चहक उठते हैं।
जय श्रीराम के उद्घोष से वालंटियर्स आसमान गुंजा देते हैं। पांचवें दीपोत्सव के वालंटियर्स को प्रशंसा के लिए कागज का एक टुकड़ा भी अवध विश्वविद्यालय अभी तक नहीं दे पाया है। छठवें दीपोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं। नोडल अधिकारी प्रोफेसर अजय प्रताप सिंह ने दीपोत्सव के बाद वालंटियर्स सम्मान आयोजन करने की बात कहा है।सूर्य भी दीपोत्सव के दिन अस्त नहीं होना चाहता। उसकी मंशा उन्हें निहारने की होती है जो अपनी उर्जा से लाखों दीयो को रोशन करते हैं। दीयों का जलना ही दीपोत्सव है। बाकी लेजर लाइट, आतिशबाजी, रामलीला, राम कथाएं, अन्य तमाम सरकारी तामझाम इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए होते हैं। वालंटियर्स दो दिन तक दीयों को बिछाते हैं।मुख्य पर्व के दिन दीयों में तेल डालने के साथ कपूर लगी बाती लगाते हैं।
छ़ोटे बड़े साइज के दीयों में तेल डालते समय ध्यान रखना होता है कि तेल फर्श पर गिरने ना पाए, नहीं तो फिसलन हो जाती है। सबसे दुष्कर कार्य दीयों को जलाते समय कम जगह में उनके साथ खड़ा रहना होता है। एक वॉलिंटियर्स लगभग 80 दीयों को जलाता है और जब आधे दिए जल जाते हैं तो घाट पर उष्मा का प्रभाव बहुत तेज हो जाता है। सभी दीयों के प्रज्वलित होने के बाद ही वालंटियर्स दीयों की व्यूह रचना से बाहर आते हैं।
तेज हवाओं के चलते पहले दीपोत्सव में विश्व रिकॉर्ड तो नहीं बन पाया था लेकिन एक लाख सत्तासी हजार दो सौ तेरह दीए जला कर वॉलिंटियर्स का उत्साह आसमान छू रहा था। दिव्य दीपोत्सव के जनक, विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित के निर्देशन में तीन दीपोत्सव हुए। कभी राम की पैड़ी पर तो कभी विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद सभागार में वालंटियर्स को सम्मानित किया गया।
चौथे दीपोत्सव में वालंटियर्स की नाराजगी की सुगबुगाहट पर आनन फानन में किसी तरह सर्टिफिकेट बांटे गए लेकिन आयोजन समिति के लोगों ने कुलपति आवास पर बोनचाइना की प्लेटों में भोजन का लुत्फ़ उठाया। पांचवे दीपोत्सव का प्रमाणपत्र अभी तक विश्वविद्यालय में दागी कुलपति के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। दीपोत्सव के नाम पर वसूली तो की गई लेकिन विश्व रिकॉर्ड के लिए अपनी ऊर्जा से दीयों को जलाने वाले वालंटियर्स को प्रशंसा का कागजी टुकड़ा भी नसीब नहीं हुआ।
छठवे दीपोत्सव को हर मायने में ऐतिहासिक बनाने के लिए नोडल अधिकारी प्रो अजय प्रताप सिंह छुट्टियों में भी कार्य कर रहे हैंं। मुख्यमंत्री ने लक्ष्य बड़ा दे रखा है। साढ़े चौदह लाख दीयों को बिछाने के लिए राम की पैड़ी के घाट छोटे पड़ गए तो सरयू नदी के घाटों पर दीये बिछाए जाएगें।
छठवें दीपोत्सव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ चुके नोडल अधिकारी अजय प्रताप सिंह ने कहा कि शैक्षणिक सेवा के वर्ष बाद राम की सेवा करने का मौका मिला है। वॉलिंटियर्स के सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं होगा। दीपोत्सव के बाद वालंटियर्स सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।