- कैंसर का कारण बन सकता है स्टीरीन
- स्टरीन मानव शरीर में शरीर के चमड़े, आंख व मुख्य तौर पर नाक के रास्ते पहुंचता है
- ये स्थानीय लोगों के लिए हो सकती है खतरनाक
न्यूज डेस्क
सात मई को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में स्थित दक्षिण कोरिया की सबसे बड़ी कंपनी एलजी पॉलिमर्स लिमिटेड की फैक्ट्री में स्टीरीन गैस लीक हुई थी जिसके चलते 11 लोगों की मौत हो गई थी और इससे हजारों लोग प्रभावित हुए। अभी भी हवा में इसकी मौजूदगी सामान्य से बहुत ज्यादा है, जो स्थानीय लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
मीडिया में आई रिपोर्ट में क्षेत्र में स्टीरीन का स्तर 2.5 पीपीएम से अधिक होने की बात कही गई थी, जबकि वायुमंडल में इसकी स्वीकार्य मात्रा 5 पीपीबी से कम होनी चाहिए।
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सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने अपने विश्लेषण में पाया कि प्लांट के आसपास हवा में स्टीरीन की मौजूदगी स्वीकार्य मात्रा से 2500 गुना अधिक रही। विशेषज्ञों के मुताबिक, ये स्थानीय लोगों के लिए खतरनाक हो सकती है।
आईआईटी बॉम्बे से पीएचडी व वायू प्रदूषण डिस्पर्सन मॉडलर डॉ. अवकाश कुमार के मुताबिक, “अगर हम ये मान लें कि लगातार एक घंटे तक गैस लीक होता रहा होगा, तो जब स्टीरीन लीक हुआ होगा, तो प्लांट के दो किलोमीटर के दायरे में हवा में इसकी मात्रा 20 पीपीएम रही होगी। इसकी वजह से लोग बेहोश होकर गिर पड़े होंगे।”
डॉ कुमार ने अपनी स्टडी में अनुमान लगाया कि स्टोरेज टैंक की क्षमता 2 किलो टन रही होगी और गैस का रिसाव 10 सेंटीमीटर वाली पाइप के जरिए एक घंटे तक हुआ होगा।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एयर मॉनीटरिंग स्टेशन विशाखापत्तनम जिले में घटनास्थल से 14 किलोमीटर नीचे तीन खतरनाक जैविक योगिक जाइलिन (सी8एच10), बेंजीन (सी6एच6), टोलुईन (सी7एच8) की निगरानी करते हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन प्रदूषकों की निगरानी नियमित तौर पर हर आधे घंटे के अंतराल पर करता है।
इन आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण कर सीएसई ने पाया कि जाइलीन की मात्रा 18 पीपीबी, टोलुईन की मात्रा 35 पीपीबी और बेंजीन की मात्रा 12 पीपीबी है।
विशाखापत्तनम से 400 किलोमीटर दूर आंध्रप्रदेश की राजधानी अमरावती में इन प्रदूषकों की मात्रा उसी अवधि में काफी कम मिली। पुराने आंकड़ों से पता चलता है कि विशाखापत्तनम में प्रदूषक तत्व का ये स्तर सामान्य है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, वायुमंडल में हाइड्रोकार्बन की स्वीकार्य मात्रा 5 पीपीबी (सलाना औसत) है।
स्वास्थ्य व सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खतरनाक जैविक यौगिक की निगरानी जरूरी है। अमरीकन लंग एसोसिएशन के अनुसार खतरनाक जैविक योगिक “खुद में नुकसानदेह है और कुछ कैंसर का कारण भी बन सकता है। इसके साथ ही ये वायुमंडल में जाकर दूसरे गैसों के साथ प्रतिक्रिया कर दूसरे तरह के वायु प्रदूषक बनाते हैं।”
कितना घातक है स्टीरीन
स्टीरीन को संभावित तौर पर कैंसर फैलाने वाला तत्व माना जाता है क्योंकि ये अपने मूल रूप में कैंसर नहीं फैलाता है। स्टीरीन मूटाजेन होता है, जिसका अर्थ होता है कि ये सेल के डीएनए को बदल देता है, जिससे कैंसरकारक तत्व बनते हैं।
स्टीरीन इंसानों में शरीर के चमड़े, आंख व मुख्य तौर पर नाक के रास्ते पहुंचता है। ये रसायन फेफड़े की वायुकोष्ठिका के रास्ते ये खून में पहुंच जाता है। अन्य अंगों की तुलना में फेफड़े के रास्ते खून में स्टीरीन देर से पहुंचता है। शोध में पता चला है कि शरीर में पहुंचे स्टीरीन का 86 फीसद हिस्सा यूरिन के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाता है।
स्टीरीन का जो हिस्सा पच नहीं पाता है, वो शरीर को नुकसान पहुंचाता है। इससे आंखों में जलन, सुनने में दिक्कत, जठरांत्र में जलन आदि की शिकायत हो सकती है।
लंबे समय तक अगर इस रसायन के संपर्क में रहें, तो ये केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है। इस रसायन के प्रभाव को लेकर चूहों व अन्य जानवरों पर बहुत सारे प्रयोग हो चुके हैं, लेकिन मानव शरीर पर बहुत कम प्रयोग किया गया है।
पीड़ितों ने प्लांट को बंद करने के लिए किया प्रदर्शन
गैस लीक की घटना के बाद स्थानीय लोग गुस्से में हैं। रविवार को लोगों ने कंपनी के प्लांट के बाहर तीन मृतकों की लाशें रखकर प्लांट को बंद करने की मांग उठाई थी।
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इस घटना से सैकड़ों लोग प्रभावित हुए हैं। करीब 800 लोग अस्पताल में भर्ती किए गए और अब भी कई लोग अस्पताल में मौजूद हैं।
ये फैक्ट्री वेंकटपुरम नाम के गांव में स्थित है। इस हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने कंपनी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। गांव वालों ने फैक्ट्री को तत्काल बंद करने और इसके शीर्ष नेतृत्व को गिरफ्तार करने की मांग की। फैक्ट्री बंद करने की मांग करते हुए कुछ प्रदर्शनकारी प्लांट परिसर में घुस गए थे।
प्रदर्शनकारी उनके स्वास्थ्य और पर्यावरण पर इस गैस रिसाव के दूरगामी परिणामों को लेकर काफी चिंतित थे।
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