जुबिली न्यूज डेस्क
भले ही अब तक कोरोना की उत्पत्ति कहां से हुई इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका है, लेकिन सवालों के घेरे में अब भी चीन है। कोरोना कहां से आया और कैसे पनपा इसको लेकर चीन पर दुनियाभर के देशों का शक गहराता जा रहा है।
चीन के वुहान लैब से कोरोना की उत्पत्ति की थ्योरी के पक्ष में दुनियाभर में विचार मजबूत हो रहे हैं। इसके अलावा भी एक सवाल पिछले साल से सभी के जेहन में है कि अगर यह वायरस चीन में सबसे पहले मिला तो यह देश कोरोना पर इतनी जल्दी नियंत्रण कैसे पा लिया?
सवाल यह भी लोगों के जेहन में आ रहा है कि क्या चीन पहले ही कोरोना का वैक्सीन बना लिया था?
इन सवालों का उपजना वाजिब है। चीन में सबसे पहले कोरोना के मामले सामने आए और उसकी सीमा से निकलकर कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचाया, लेकिन चीन में ऐसा कुछ नहीं हुआ।
आज भी दुनिया के कई देश कोरोना की मार से बुरी तरह आहत है, लेकिन चीन में सबकुछ सामान्य है। जहां दुनिया के अधिकांश देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई तो वहीं महामारी में चीन की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई।
अब तो प्रसिद्ध वायरोलॉजिस्ट को भी ऐसा ही लग रहा है कि चीन शायद दुनिया से कोरोना की सच्चाई छुपा रहा था। वायरोलॉजिस्ट का मानना है कि चीन ने महामारी से पहले ही कोरोना की वैक्सीन तैयार कर ली थी।
मालूम हो कोरोना वायरस से दुनियाभर में करीब 37 लाख से अधिक लोगों की मौतें हो चुकी हैं तो वहीं करीब 18 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं।
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न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, एक प्रसिद्ध भारतीय वायरोलॉजिस्ट ने दावा किया है कि संभवत: चीन ने कोरोना वायरस के फैलने की या लीक होने की संभावना को देखते हुए पहले ही वैक्सीन विकसित कर ली थी।
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बताते चलें कि इसके पहले कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस एक लैब में तैयार किया गया था।
भारतीय वायरोलॉजिस्ट ने आशंका जताई कि वैक्सीन के शुरुआती दिनों में ही मौजूद होने से चीन को कोरोना वायरस को समय रहते कंट्रोल करने में मदद मिली।
दुनिया की सबसे बड़ी 140 करोड़ की आबादी वाले देश में दिसंबर 2019 में सिर्फ 91,300 संक्रमण के मामले दर्ज किए गए थे और 4636 लोगों की मौतें हुई थीं। कोरोना वायरस के दर्ज मामलों में चीन दुनियाभर में 98वें नंबर पर मौजूद है।
जॉन क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर में क्लिनिकल वायरोलॉजी विभाग के प्रमुख वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर टी जैकब ने कहा कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से संदिग्ध रिसाव को लेकर कुछ रहस्य है। चीन की कोविड-19 महामारी दुनिया में अनोखी थी। यानी कि वे कुछ छिपा रहे हैं… या वे अलग हैं…या चीन ने इसके लिए पहले से तैयारी की थी। सब कुछ वह नहीं है जो आंख से दिख रहा है।
डॉक्टर जैकब ने एक युवा चीनी वैज्ञानिक द्वारा कोरोना वैक्सीन के लाइसेंस के लिए 24 फरवरी 2020 को दिए गए आवेदन के उदाहरण का जिक्र किया। उन्होंने आशंका जताई कि कोरोना विस्फोट के महज 2 महीने के भीतर इसकी वैक्सीन पर काम करना बहुत जल्दबाजी की बात मालूम होती है।
उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि चीन ने वैक्सीन के निर्माण के लिए कम से कम एक साल पहले से काम करना शुरू किया होगा।
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डॉ. जैकब ने कहा कि वह युवा चीनी वैज्ञानिक मर चुका है। इसमें अभी बहुत सारे राज हैं। ऐसा लगता है कि चीन कुछ छुपा रहा है, जैसे कोई अपराधी छिपाता है। यहां कुछ ऐसे सबूत हैं जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि यह लैब से ही बना वायरस है।
बता दें कि कोरोना की उत्पत्ति की जांच को लेकर अब चीन चौतरफा घिरता जा रहा है। अब न सिर्फ जर्नल और स्टडी उसकी पोल खोलते नजर आ रहे हैं, बल्कि अमेरिका, भारत और ब्रिटेन जैसे देश भी उस पर निष्पक्ष जांच का दवाब बना रहे हैं।
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