अशोक बांबी
पिछले दिनों विनोद कांबली की हालात देखकर दुख लगा । एक समय का बेहतरीन बल्लेबाज आज जिस अवस्था में है वह अत्यंत शोचनीय व कष्टप्रद है।
आज जो उनकी शारीरिक, मानसिक व आर्थिक हालत है उसके जिम्मेदार वे स्वयं है। उनको युवा काल में काफी धन व यश मिला लेकिन उन्होंने उसकी कद्र नहीं करी और जिसके फल स्वरूप आज वे इतने कठिन समय से गुजर रहे हैं ।
जहां उनका आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है वहीं उनकी सेहत भी अच्छी नहीं है। ऐसा नहीं है कि पूर्व में लोगों व बीसीसीआई ने उनकी मदद नहीं करी ।
उनकी पहले भी बहुत से लोगों ने मदद करी लेकिन वे अपनी बुरी आदतें छोड़ने में नाकाम रहे जिसके फल स्वरूप उनको आज यह दुर्दिन देखने को मिल रहे हैं।
कपिल देव व सुनील गावस्कर उनकी मदद को आगे आए हैं लेकिन विनोद कांबली के जो रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम का पालन करना है क्या वे उसे कर पाएंगे?
उन्हें पूर्व में भी कई बार रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम में भेजा गया लेकिन थोड़े दिनों बाद वे फिर अपनी पुरानी हरकतों पर वापस आ गए । उनकी खराब हरकतें क्रिकेट जगत व अन्य करीबी लोगों को मालूम है । चाहे उनके साथी सचिन हो व अन्य साथी कहां तक उनकी मदद करेंगे जब कि वे सुधरने का नाम ही नहीं लेते । मदद की भी एक सीमा होती है।
बीसीसीआई व राज्य क्रिकेट संघों को जूनियर क्रिकेट के समय से ही ऐसा कार्यक्रम चलाना चाहिए कि खिलाड़ियों को अपना भावी जीवन कैसे चलाना है।
आज क्रिकेट में इतना पैसा है व चकाचौंध है जिसके फल स्वरूप कई खिलाड़ी बहक जाते हैं और आगे वे एक कठिनाई भरा जीवन व्यतीत करते हैं।
सभी खिलाड़ियों को विनोद कांबली जैसे खिलाड़ी की जीवन शैली से सीख लेनी चाहिए और अपने खेल जीवन व उसके पश्चात एक संतुलित जीवन व्यतीत करना चाहिए।