न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। दुनिया कोरोना वायरस की दहशत में जी रही है। तो वही उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कुछ गांव के लोग कोरोना से नहीं बल्कि तेंदुआ की दहशत की वजह से नजरबंद है।
लखनऊ का सरोजनीनगर इलाका इन दिनों से चर्चा में है। जहां तेंदुआ आने की आहट ने पूरे गांव को नजरबंद कर रखा है। दिन भर लॉकडाउन और सुबह और शाम तेंदुए की दहशत। ऐसे हालात में ग्रामीणों का जन जीवन अस्त-व्यस्त है। इसका असर एक दो नहीं कई गांवों तक पहुंच गया है। लोग घरों से जरूरी सामानों को खरीददारी करने से दूर भाग रहे है।
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ऐसी स्थिति से मुल्लाही खेड़ा, कासिम खेड़ा, नटकुर, स्कूटर इंडिया, गौरी विहार, गेहरू, चंद्रावल के रहने वाले हजारों लोग लॉकडाउन से कम सिंहक जानवर से ज्यादा परेशान है।
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कई दिनों से क्षेत्र में इस कदर दहशत बरकरार है कि सुबह और शाम निकल नहीं सकते और दोपहर में पुलिस गांव के बाहर नहीं जाने देती। स्थानीय लोगों की माने तो जब भी घरों से बाजार या अन्य किसी भी कार्य से निकलते है तो हाथों में लाठी- डंडा लेकर जाना पड़ता है।
कई दिनों से सिंहक जानवर की चहलकदमी नहीं देखी गई। ऐसे में वन विभाग ने स्कूटर इंडिया के जंगलों में कैमरे से नजर रख रहा है। चौबीस घंटे कांबिग टीम तेंदुए की तलाश में जुटी है। जंगल में पिंजरा लगा गया है। बावजूद तेंदुआ अभी वन विभाग की टीम से पकड़ से बाहर है।
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पिछले दिनों गोमतीनगर में था दहशत का माहौल
मार्च के शुरुआती दिनों में राजधानी के गोमती नगर विस्तार और चिनहट के कई इलाकों में तेंदुए की चहलकदमी से दहशत का माहौल था। जिसे पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम ने गोमती नगर के कई इलाकों में डेरा डाल लिया था।
इसके अलावा किसान पथ पर भी मई की शुरुआत में नूरपुर गांव के पास रात में तेंदुआ दिखने से हड़कंप मच गया था। ग्रामीणों ने किसान पथ पर पाइप के अंदर तेंदुए को बैठा देखा था। तेंदुए को देख लोगों में दहशत का माहौल काफी दिनों से बना हुआ है।
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अमौसी रेलवे स्टेशन भी दहशत का शिकार
अमौसी रेलवे स्टेशन के आसपास तेंदुए की चहलकदमी से अब रेलकर्मी भी दहशत में आने लगे हैं। तेंदुए के डर के कारण अमौसी और पिपरसंड रेलवे स्टेशन के बीच लोग काफी डरे हुए है। वहीं रेल पटरी की सुरक्षा में लगे चाबी मैन भी तेंदुए के खौफ से अकेले ड्यूटी करने की बजाय एक साथी लेकर काम करने जाते हैं।
डीएफओ डॉ. रवि कुमार सिंह के अनुसार अभी तक हिंसक जानवन के कोई चिन्ह या अन्य प्रमाण नहीं मिले है। कोई पग चिन्ह या पुख्ता जानकारी पर ही पिंजड़ा लगाया जाएगा।