जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आठ दिन बाद पुलिस एनकाउंटर में मारे गए विकास दुबे की मौत को एक साल पूरा हो गया मगर सरकारी रिकार्ड में विकास दुबे आज भी जिन्दा है. नगर निगम ने आज तक उसका डेथ सर्टिफिकेट भी जारी नहीं किया है.
यह बात तब सामने आयी जब विकास दुबे की पत्नी ऋचा दुबे ने कानपुर के जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि उसे आज तक उसके पति का डेथ सर्टिफिकेट नहीं मिला, जिसकी वजह से उसके परिवार के सामने भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं.
दरअसल हुआ यह कि विकास दुबे के पोस्टमार्टम में विकास दुबे के पिता का नाम रामकुमार की जगह राजकुमार दर्ज हो गया. पोस्टमार्टम वाले कागज़ को देखकर श्मशान से अंतिम संस्कार की जो पर्ची मिली उसमें भी वही नाम दर्ज हो गया. श्मशान से मिली पर्ची के आधार पर ही नगर निगम डेथ सर्टिफिकेट बनाता है. नगर निगम के रिकार्ड से यह पर्ची मेल नहीं खाई तो डेथ सर्टिफिकेट ही नहीं बना.
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उत्तराधिकारियों को मरने वाले की सम्पत्ति पर मालिकाना हक़ इसी डेथ सर्टिफिकेट के आधार पर ही मिलता है. डेथ सर्टिफिकेट के अभाव में बच्चो की पढ़ाई तो दूर दवा इलाज भी मुश्किल हो गया है. श्मशान घाट से मिली पर्ची नम्बर 1847/ 20 लेकर विकास दुबे की पत्नी इस दरवाज़े से उस दरवाज़े के चक्कर लगा रही है.