- आठ दिन में क्लोज हुआ विकास दुबे गैंग का चैप्टर
- 30 साल में विकास पर दर्ज हुए थे 62 केस
- राजनीतिक संरक्षण की वजह से अब तक बचता रहा था विकास दुबे
जुबिली न्यूज डेस्क
आखिरकार विकास दुबे पुलिस मुठभेड़ में मारा ही गया। जिस एनकाउंटर से बचने के लिए उसने उज्जैन में आत्मसर्मपण किया उसकी वह भी ट्रिक काम नहीं आई। शुक्रवार की सुबह विकास दुबे के मारे जाने की खबर पुलिस ने दी।
पिछले शुक्रवार को कानपुर के चौबेपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या से पूरी यूपी दहल गई थी। इस कारनामे को अंजाम विकास दुबे ने दिया था। इस घटना के बाद विकास फरार चल रहा था। यूपी पुलिस और एसटीएफ की टीमें विकास को खोज रही थी, लेकिन वह यूपी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा।
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गुरुवार को विकास दुबे ने उज्जैन के महाकाल मंदिर में खुद को पुलिस के हवाले कर दिया। यूपी पुलिस उसे मध्य प्रदेश से ट्रांजिट रिमांड पर लेकर कानपुर आ रही थी। पुलिस के मुताबिक, शुक्रवार की सुबह कानपुर के भौती के पास ही पुलिस की गाड़ी पलट गई जिसमें विकास दुबे भी था। गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की। पुलिस ने उसे आत्मसमर्पण करने के लिए कहा लेकिन वह नहीं माना। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने उस पर फायरिंग की, जिसमें वह मारा गया।
जिस साम्राज्य को विकास दुबे ने 30 साल में खड़ा किया था, पुलिस ने उसे महज आठ दिन में मटियामेट कर दिया। पुलिस ने 8 दिनों में विकास के गैंग के सात लोगों में 5 को पुलिस ने एनकाउंटर में ही मारा है। सिर्फ दो लोगों को ही गिरफ्तार किया गया। ये उसके धंधे के खास लोग थे जिनके सहारे उसका यह धंधा चल रहा था।
पुलिस ने ठीक एक हफ्ते पहले बिकरु गांव के जंगलों में उसके मामा प्रेम प्रकाश पांडे और चचेरे भाई अतुल दुबे को एनकाउंटर में मारा। इसके बाद पुलिस ने विकास के करीबी दयाशंकर अग्निहोत्री को कल्याणपुर इलाके में मुठभेड़ के दौरान पकड़ लिया था। दयाशंकर के पैर में गोली लगी थी। पुलिस ने घेराबंदी करने के बाद उससे सरेंडर करने को कहा था, लेकिन उसने देसी तमंचे से पुलिस पर फायरिंग कर दी और भागने की कोशिश की।
इसके बाद पुलिस को विकास के राइट हैंड कहे जाने वाले अमर दुबे को भी मार गिराया। पुलिस को उसके हमीरपुर में छिपे होने की सूचना मिली थी। पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने पहुंची, लेकिन फायरिंग के बाद पुलिस ने अमर दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया। पुलिस ने इसी हफ्ते विकास के एक और करीबी श्यामू बाजपेयी का भी एनकाउंटर किया था, इसमें श्यामू के पैर में गोली लगी थी। उसे बाद में गिरफ्तार कर हैलट अस्पताल में भर्ती करा दिया गया।
विकास दुबे के दो और साथी एनकाउंटर में ढेर हुए थे। पुलिस ने बताया था कि प्रभात मिश्रा पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश कर रहा था, जिसके बाद एनकाउंटर में उसे ढेर कर दिया गया। उसे बुधवार को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा विकास दुबे गैंग के एक और मोस्ट वांटेड क्रिमिनल बउवा दुबे को भी इटावा में मार गिराया गया था।
कानपुर का रहने वाले विकास दुबे का आपराधिक इतिहास काफी पुराना है। 30 साल में उस पर 62 आपराधिक मुकदमे दर्ज हुए। इतने लंबे समय तक वह बचता रहा तो इसके पीछे राजनीतिक संरक्षण था।
विकास पर यूपी में राजनाथ सिंह की सरकार में थाने में घुसकर मंत्री की हत्या करने का आरोप है। विकास दुबे ने साल 2001 में राजनाथ सिंह की सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या कर दी थी। इस मामले में पुलिस ने साल 2017 में विकास दुबे को गिरफ्तार किया था लेकिन कोई गवाह नहीं मिलने के कारण वह इस मामले में बरी हो गया था।
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