जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश में विधानसभ चुनाव 2022 में होने हैं लेकिन अभी से शह-मात का खेल शुरू हो गया है। विधानसभा चुनाव से पहले सबकर नजरें विधानपरिषद चुनाव और खाली हो रही सभापति की कुर्सी पर टिकी हुई हैं। राज्यसभा चुनाव की तरह विधान परिषद की 12 सीटों के लिए होने जा रहे चुनाव में भी सियासी दांव-पेंच का खेल देखने को मिल सकता है। अब तक शांत दिख रहे चुनावी माहौल में हलचल बढ़ गई है।
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दरअसल, उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति रमेश यादव, उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह समेत 12 लोगों का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है। ऐसे में 28 जनवरी को होने वाले उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव के लिए राजनीतिक बिसात बिछने लगी है।
मौजूदा समीकरणों को देखा जाए तो बीजेपी की 10 सीटें पक्की मानी जा रही हैं, जबकि एक सीट का सपा के खाते में जाना तय है। सपा से नाराजगी के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा से बदला लेने के लिए बीजेपी के भी साथ जाने की बात कही थी।
इसके बाद बीजेपी ने 12वीं सीट को अपनी झोली में डालने के लिए कोशिश शुरू कर दी है। बीजेपी के साथ अगर बसपा के वोट जुड़ गए और सपा बाकी विपक्षी दलों को साधने में असफल रही तो 12वीं सीट बीजेपी के खाते में आसानी से जा सकती है।
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हालांकि, सूत्र बताते हैं कि 12वीं सीट से ज्यादा फिक्र सपा को विधान परिषद के सभापति को लेकर है। सपा एमएलसी सुनील सिंह साजन कह चुके हैं कि सभापति का कार्यकाल खत्म होने के बाद जाहिर है कि सपा नए सभापति के लिए चुनाव की मांग करेगी और अपना प्रत्याशी खड़ा करेगी।
इसके बाद खाली हो रही सभापति की कुर्सी पर कौन बैठेगा इसको लेकर सियासत तेज हो गई है। दरअसल विधानपरिषद में बीजेपी के पास बहुमत का आंकडा नहीं है। सपा के विधान परिषद में 55 सदस्य हैं और उसके छह विधायकों की सदस्यता खत्म हो रही है।
वहीं बीजेपी के 25 सदस्य हैं और उसके तीन सदस्यों की सदस्यता खत्म हो रही है। अगर 10 सीट पर बीजेपी जीतती है तो उसके उच्च सदन में 32 विधायक हो जाएंगे। वहीं सपा का एक प्रत्याशी भी जीतता है तो उसके 50 विधायक रहेंगे। मतलब विधानपरिषद में सपा का बहुमत बरकरार रहेगा।
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ऐसी स्थिति में अगर चुनाव होता है तो उच्च सदन में बीजेपी का स्पीकर बनने की संभावना प्रबल होगी। विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी आलाकमान नहीं चाहता कि विपक्ष को किसी भी प्रकार जीत नसीब हो।
बीजेपी सूत्रों की माने तो पार्टी आलाकमान ने फैसला किया है कि विधान परिषद चुनाव प्रोटेम स्पीकर के जरिए करा कर नव निर्वाचित विधायको को शपथ दिला दी जाएगी। लेकिन जब तक उच्च सदन में बीजेपी को बहुमत नहीं मिलता तब तक सभापति के निर्वाचन के लिए वोटिंग नहीं कराई जाएगी।
बताते चलें कि उत्तर प्रदेश की 12 विधान परिषद सीटों के लिए 28 जनवरी को वोटिंग होनी है और नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तारीख 18 जनवरी है। बीजेपी ने 12 सीटों के लिए 12 नामांकन पत्र खरीदें हैं। बीजेपी ने चार उम्मीदवारों की नाम की घोषणा कर दी है।
सूबे के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को पार्टी ने मैदान में उतारा है। इसके अलावा पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने लक्ष्मण प्रसाद आचार्य और गुजरात काडर के पू्र्व आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा को भी मैदान में उतारने का फैसला किया है।
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वहीं सपा ने अपने दो वरिष्ठ नेताओं अहमद हसन और राजेंद्र चौधरी का नामांकन करवा दिया है। इसके अलावा अन्य किसी दल ने नामांकन नहीं किया है। यूं तो सपा विधायक नितिन अग्रवाल पार्टी से बगावत कर चुके हैं। दूसरे दलों में भी कई बागी हैं लेकिन इस चुनाव में नजरें शिवपाल सिंह यादव पर रहेंगी। वह सपा विधायक हैं और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष भी हैं। विधान परिषद चुनाव में वह सपा उम्मीदवारों को वोट देंगे या नहीं, इसे लेकर सभी की उत्सुकता बनी हुई है। इसी से उनकी भावी राजनीति का संकेत भी मिलेगा।
100-सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधान परिषद में सपा के 55, भाजपा के 25, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के आठ, कांग्रेस और ‘निर्दलीय समूह’ के दो-दो और अपना दल (सोनेलाल) और ‘शिक्षक दल’ के एक-एक सदस्य हैं। इनके अलावा विधान परिषद में तीन निर्दलीय सदस्य भी हैं।
इनकी खत्म होगी सदस्यता
बीजेपी : दिनेश शर्मा, स्वतंत्र देव सिंह, लक्ष्मण आचार्य
सपा : अहमद हसन, आशू मलिक, रमेश यादव, रामजतन राजभर, वीरेंद्र सिंह, साहब सिंह सैनी
बसपा : धर्मवीर सिंह अशोक, प्रदीप कुमार जाटव, नसीमुद्दीन सिद्दीकी (अब कांग्रेस में। दलबदल कानून में सदस्यता रद)
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यों वाली विधानसभा में वर्तमान में 402 सदस्य हैं जिनमें भाजपा के 310, सपा के 49, बसपा के 18, अपना दल (सोनेलाल) के नौ, कांग्रेस के सात, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के चार, निर्दलीय तीन, राष्ट्रीय लोकदल का एक, निर्बल इंडियन शोषित हमारा अपना दल (निषाद) का एक सदस्य हैं। बीजेपी के साथ अपना दल (सोनेलाल) का गठबंधन है।
इस बीच सोशल मीडिया में ऐसे पोस्ट भी वायरल हो रहे हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि यूपी के डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा को विधानपरिषद का सभापति बनाया जा सकता है। साथ ही उनकी जगह पर एक दिन पहले बीजेपी में शामिल हुए पीएम मोदी के करीबी पूर्व आईएएस अरविंद कुमार शर्मा का योगी सरकार में डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है।