Tuesday - 22 April 2025 - 2:09 PM

संसद बनाम न्यायपालिका विवाद पर उपराष्ट्रपति की दो टूक: संसद सर्वोच्च है

जुबिली न्यूज डेस्क

नई दिल्ली: देश में संसद और न्यायपालिका के बीच भूमिका और अधिकारों को लेकर चल रही बहस के बीच, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर संसद की सर्वोच्चता को दोहराया है। मंगलवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि संसद से ऊपर कोई प्राधिकारी नहीं है, और निर्वाचित प्रतिनिधि ही संविधान के अंतिम मालिक हैं।

“संसद सर्वोच्च है, यह किसी से कम नहीं” — उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में निर्वाचित प्रतिनिधियों से ऊपर कोई नहीं है। उन्होंने कहा:“कोई भी प्राधिकरण संसद से ऊपर नहीं हो सकता। संसद की सर्वोच्चता में कोई संदेह नहीं होना चाहिए। यह संविधान द्वारा तय किया गया है, और यह देश के प्रत्येक नागरिक जितना ही सर्वोच्च है।”

आपातकाल और न्यायपालिका पर टिप्पणी

धनखड़ ने 1975 के आपातकाल का ज़िक्र करते हुए कहा कि:“हम संविधान दिवस और संविधान हत्या दिवस क्यों मनाते हैं? क्योंकि 1975 में लोकतंत्र और संविधान दोनों पर हमला हुआ था। उस समय देश की सर्वोच्च अदालत ने नौ उच्च न्यायालयों के फैसलों को नजरअंदाज कर, नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर रोक लगाई थी।”

लोकतंत्र की नींव: जागरूक नागरिक-उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति ने नागरिकों की भूमिका पर भी ज़ोर देते हुए कहा:“लोकतंत्र की ताकत नागरिकों में निहित होती है। हर एक नागरिक की भूमिका अहम है। लोकतंत्र तभी फलेगा-फूलेगा जब नागरिक जागरूक और उत्तरदायी होंगे।”

संविधान और प्रस्तावना पर भी उठाए सवाल

उपराष्ट्रपति ने संविधान की प्रस्तावना पर सुप्रीम कोर्ट के अलग-अलग फैसलों की चर्चा करते हुए कहा कि:“एक मामले में सुप्रीम कोर्ट कहती है कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा नहीं है (गोलकनाथ केस), और दूसरे मामले में कहती है कि यह हिस्सा है (केशवानंद भारती केस)। यह विरोधाभास गंभीर सोच की मांग करता है।”

ये भी पढ़ें-केंद्र और राज्य सरकारों पर भड़की मायावती, दी ये चेतावनी

संस्थाओं की गरिमा और लोकतंत्र को बचाने की अपील

धनखड़ ने चेताया कि:“हमारी चुप्पी खतरनाक हो सकती है। लोकतंत्र में संवाद और संतुलन जरूरी है। हमें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाली ताकतों को रोकना होगा। संवैधानिक संस्थानों का सम्मान हर नागरिक का कर्तव्य है।”

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com