डॉ. संजय श्रीवास्तव
वर्तमान सबसे मुश्किल कालखण्ड है जब दुनिया कोविड-19 से समाज, सभ्यता और संस्कृति को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर लड़ रही हैI दुनिया इस महामारी को तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत मान रही है, जिसमे इस पृथ्वी की 80 प्रतिशत जनता प्राभावित है। यूरोप और अमेरिका हो अफ्रीका हो ऑस्ट्रेलिया हो या पूरा एशिया हर जगह इस बीमारी ने पैर पसार रखा है।
मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पूरा विश्व आर्थिक महा मंदी की चपेट मे है। लोग घरो मे रहने को मजबूर है, मंदी और बंदी के चलते बेरोजगारी अपने उच्चतम स्तर पर हैI सम्पूर्ण जगत में चारो तरफ हाहाकार मचा हुआ है।
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विश्व स्वास्थ संगठन (डबल्यूएचओ) की विश्वसनीयता सबसे निचले पायदान पर है उस पर झूठ बोलने, समय से बीमारी के प्रति विश्व को आगाह न करने और चीन के बहकावे मे आने के आरोप है।
ऐसे समय मे 25 अप्रैल को “विश्व पशु चिकित्सा दिवस” पर किसी प्रकार के समारोह का आयोजन एक तरह से खुद को धोखा देने जैसा हैI कहा जाता है की दुनिया कभी रुकती नही है, ईमानदार और मेहनतकश लोग इस कठिन समय को एक अवसर मे बदल सकते है।
इस वर्ष का विषय ‘एंवायरन्मेंटल प्रोटेक्शन फॉर इंप्रूविंग एनिमल एंड ह्यूमन हेल्थ’ है। वर्ष 2000 से पशुचिकित्साविदों के लिए शुरू हुआ यह खास दिवस प्रत्येक वर्ष अप्रैल माह के अंतिम शनिवार को मनाया जाता है।
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यह समय पशुचिकित्सा विज्ञान और पशुचिकित्सकों के लिए एक अवसर है जब पूरा विश्व इस जूनोटिक बीमारी से परेशान है, न कोई कारगर दवा है न कोई वैक्सीन है, बीमारी क्यों और कैसे मनुष्यो मे आई इस पर भी अभी भिन्न मत है। वैज्ञानिक लगातार इस विषाणु जनित बीमारी पर शोध कर रहे है पर अब तक कोई ठोस नतीजे सामने नही आए है।
चूंकि यह जूनोटिक बीमारी है इसलिए पशुचिकित्सा विज्ञान इसके रोकथाम मे अहम भूमिका निभा सकता है जैसा की पूर्व मे विश्व के बहुत से देशो मे अन्य जूनोटिक बीमारी के उन्मूलन मे सोशल एंड प्रिवेंटिव मेडिसिन तथा वेटरनरी साइंस ने एक साथ मिल कर टास्क फोर्स के रूप मे अग्रणी भूमिका निभाई है।
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एक पशु चिकित्सक के रूप मे हम सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुये आकस्मिक चिकित्सा एवं पशुपालन से संबन्धित सप्लाइ चेन की सेवा दे रहे हैI भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों ने ने पशुचिकित्सकों की मांग की है जिनकी बीमारी की रोक थाम मे अहम भूमिका होगीI
“निराश्रित पशुओं का जरूर ध्यान रखे और उनके प्रति लोंगो को जागरूक करे “
मै कुछ सुझाव अवश्य रखना चाहूँगा
- 25 अप्रैल 2020 , पशु चिकित्सा दिवस कोविड-19 से दिवंगत हुए आत्माओं को समर्पित हो।
- दिवस खास से संबंधित किसी भी समारोह का निषेध हो।
- जो पशु चिकित्सक जहाँ भी हो, जिस देश में हो, वहाँ कोविड-19 से लड़ाई मे सहयोग करे।
- पशु चिकित्सा के क्षेत्र मे और अधिक अनुसंधान तथा कम्यूनिटी मैडिसिन से बेहतर संबंध बनाएं जाएं, जिससे कोविड-19 जैसे बेरहम विषाणु से बचा जा सके।
- फील्ड में पशु चिकित्सा क्षेत्र में नए व्यवहारिक तकनीक का इस्तेमाल हों जिससे वो ज्यादा पेशेवर हो सके।
- अधिक से अधिक पशुचिकित्सकों को पशु चिकित्सा मे परास्नातक पढ़ाई के लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया जाए। सरकारी सेवा के पशु चिकित्सको को इसमें विशेष तौर पर शामिल किया जाए।
- इस महामारी के बाद देश के आर्थिक विकास में पशुपालन की भूमिका।
- कृषि एवं पशुपालन से संबन्धित नए उद्योगों की स्थापना ।
- पशुचिकित्सा एवम पशुपालन में नई टेक्नोलॉजी का ज्यादा प्रयोग हो, जिससे पशुपालक आर्थिक रूप से और ज्यादा मजबूत हो सके और देश के आर्थिक विकास में सहभागी बन सके।
- फॅमिली मैडिसिन मे काउन्सेलिंग स्तर पर और जूनोटिक बीमारी के रोकथाम विषय पर विशेष ट्रेनिंग पर ध्यान दिया जाय।
(लेखक पशु चिकित्सक हैं)
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