न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। बढ़ती हुई आबादी और बिगड़ी हुई जीवन शैली गैर संचारी रोगों का मुख्य कारण है, मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेला आरम्भ किया गया है। इसके जरिये जन जागरण अभियान आरम्भ किया गया है। हम सामुदायिक स्तर पर इसकी पहुंच निश्चित करते है।
इस संबंध में डेटा तैयार किया गया है। जबकि हर रविवार को Phc पर लोगो को आने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। ये बाते मुख्य अतिथि स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने गैर-संचारी रोगों पर आधारित एक कार्यक्रम में कही।
उत्तर प्रदेश में गैर- संचारी रोगों की व्यापकता की गंभीरता के मद्देनजर एनएचएम, यूपी सरकार के सहयोग से वोलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया और लाल पैथलैब्स फाउंडेशन की ओर से ‘आरोग्य’- एनसीडी की रोकथाम और नियंत्रण पर एक समुदाय आधारित कार्यक्रम का आयोजन लखनऊ में किया गया। कार्यक्रम में यूपी के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे।
वोलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया की मुख्य कार्यकारी भावना बी. मुखोपाध्याय ने बताया की आरोग्य परियोजना का उद्देश्य एनसीडीईएस की रोकथाम और नियंत्रण के लिए सरकारी पहल और कार्यक्रमों को सशक्त बनाना है। यह परियोजना गैर-संचारी रोगों से संबंधित खतरे के बारे में बड़े पैमाने पर जागरूकता प्रदान करेगी ताकि लोग बड़े स्तर पर निवारक कदम उठाएं।
वोलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया के वरिष्ठ निदेशक डॉ. पी.सी. भटनागर ने एनसीडी और इसके संबद्ध जोखिम कारक पर स्थानीय समुदाय के ज्ञान, अभ्यास और व्यवहार को समझने के लिए लखनऊ में एक आधारभूत सर्वेक्षण करवाया।
निष्कर्षों से पता चला कि 77% उत्तरदाताओं ने एनसीडी के बारे में सुना है लेकिन 95% एनसीडी से जुड़े जोखिम कारकों के बारे में अनजान हैं। 80% से अधिक लोग वसा, चीनी और नमक का आवश्यकता से अधिक मात्रा का प्रयोग करते हैं और 59% लोग दैनिक रूप से फलों और सब्जियों का सेवन नहीं करते हैं।
एनएचएम यूपी के एमडी विजय विश्वास पंत और जीएम एनसीडी डॉ. ए.बी सिंह ने एनएचएम ने एनसीडी रोकथाम और नियंत्रण पर सरकार की पहल और कार्यों के विषय में जानकारी दी। इसके साथ ही भारत आयुष्मान के तहत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों की स्थापना के बारे में जानकारी दी।
यूपी में होने वाली असामयिक मृत्यु का 47.9% कारण गैर संचारी रोग (NCD) हैं। एनसीडी के लिए प्रमुख जोखिम कारक – तंबाकू का उपयोग, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, गलत खान पान (जंक फ़ूड ) सम्बन्धी आदतें हैं।
लाल पैथलैब्स फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. ओ.एम. मनचंदा ने बताया की सार्वजनिक प्लेटफार्मों जैसे स्कूलों, ग्राम स्वास्थ्य पोषण और स्वच्छता समिति, स्थानीय स्व-सहायता समूहों का उपयोग करते हुए एनसीडी और इसके संबंधित जोखिम कारकों पर व्यापक जागरूकता एवं अच्छी और स्वस्थ आदतें विकसित करने के विषय में चर्चा होनी चाहिए।
कार्यक्रम में एनसीडी और स्वास्थ्य संवर्धन पर साक्ष्य- आधारित वैश्विक अनुभवों को शामिल किया गया है। इस कार्यक्रम में डॉ. ए.बी. सिंह, जीएम-एनसीडी, एनएचएम के अन्य अधिकारी, गैर सरकारी संगठन, जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीगण, स्थानीय समुदाय के प्रतिनिधि और सदस्यों के साथ-साथ सरकारी फ्रंटलाइन कार्यकर्ता उपस्थित थे।
जीएम एनसीडी डॉ. ए.बी. सिंह ने कहा कि 55 लाख लोगो का स्क्रीनिंग करने का लक्ष्य है। आरोग्य की विशेषता है की जांच के साथ जागरूकता और सरकारी रेफरल सेवाओ का लाभ उठाएं। ये संदेश देना आवश्यक है कि ऊनी जीवन शैली को विशेष रूप से सही रखे ताकि ये बीमारि पर रोकथाम की जा सके।