तीनों सेनाओं के 8 पूर्व प्रमुखों सहित 150 से अधिक पूर्व सैन्य अधिकारियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सेना के राजनीतिकरण के ख़िलाफ़ चिट्ठी लिखी है। इस पत्र के माध्यम से पूर्व अधिकारियों ने मोदी सरकार पर सेना का राजनीतिकरण का आरोप लगाया है।
Rashtrapati Bhavan Source denies receiving any letter supposedly written by armed forces veterans to the President which is circulating in the media. pic.twitter.com/rOWedMumsk
— ANI (@ANI) April 12, 2019
चिट्ठी पर फंसा पेंच
हालांकि राष्ट्रपति भवन ऐसी किसी चिट्ठी मिलने से इनकार किया है, लेकिन सोशल मीडिया में पूर्व सैन्य अधिकारियों की चिट्ठी वायरल हो रही है।
इसके अलावा रिटायर्ड एयर मार्शल एनसी सूरी ने भी कहा है कि उन्होंने इस प्रकार की किसी चिट्ठी पर हस्ताक्षर नहीं किया है। उनके अलावा जनरल एस.एफ. रोड्रिग्स ने भी इस प्रकार की चिट्ठी में अपना नाम होने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि पता नहीं ये कहां से आया है, मैं अपनी पूरी ज़िंदगी राजनीति से दूर रहा हूं।
इस चिट्ठी में राष्ट्रपति से शिकायत की गई है कि मोदी सरकार सर्जिकल स्ट्राइक जैसे सेना के ऑपरेशन का श्रेय ले रही है। साथ ही सेना को मोदी जी की सेना के तौर पर बताया जा रहा है।
11 अप्रैल को सार्वजनिक हुई इस चिट्ठी में राष्ट्रपति से राजनीतिक दलों के सेना के राजनीतिक इस्तेमाल रोकने के लिए कदम उठाने की अपील की गई है।
बताते चले कि महाराष्ट्र के लातूर की रैली में पीएम मोदी ने पहली बार मतदान करने जा रहे मतदाताओं से कहा कि ‘वे अपने मत उन बहादुर लोगों को समर्पित करें, जिन्होंने पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमले को अंजाम दिया’। पीएम के इस बयान पर बवाल मच गया है।
वहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक रैली के दौरान भारतीय सेना को ‘मोदी की सेना’ कह कर संबोधित किया था, जिसके बाद विपक्षी दलों समेत मोदी सरकार में मंत्री और गाजियाबाद के बीजेपी प्रत्याशी वी के सिंह ने योगी का विरोध किया था।