जुबिली स्पेशल डेस्क
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है लेकिन इस साल वहां पर विधान सभा का चुनाव भी होना है। इस वजह से कांग्रेस वहां पर लगातार सक्रिय है और दोबारा वापसी का सपना देख रही है।
हालांकि राजस्थान विधान सभा चुनाव पर नजर डाले तो यहां पर अक्सर सत्ता बदलती रहती है। इस वजह से कांग्रेस चाहती है इस बार ऐसा न हो और सरकार उसी की बने लेकिन बीजेपी भी कांग्रेस को रोकने के लिए कमर कस चुकी है।
राजस्थान विधानसभा चुनाव से लगभग चार महीने पहले, भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है।
इसको लेकर उसने कल एक बड़ा फैसला लिया है। दरअसल भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार को दो प्रमुख चुनाव पैनलों- घोषणापत्र और चुनाव प्रबंधन समितियों का ऐलान किया है लेकिन हैरान करने वाली बात ये हैं कि इसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को जगह नहीं दी गई है।
इसके आलावा केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को 25 सदस्यीय संकल्प पत्र/ घोषणा पत्र समिति का संयोजक नॉमिनेट किया गया है जबकि पूर्व सांसद नारायण पंचारिया को चुनाव प्रबंधन समिति के प्रमुख के तौर काम करते हुए नजर आयेंगे।
इस सूची पर नजर दौड़ाये जाये तो इसमें विपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़, और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया समेत कई अन्य नाम शामिल हैं। घोषणा पत्र समिति में सह-संयोजक के तौर पर राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवारी, किरोड़ी लाल मीणा और पूर्व उपसभापति राव राजेंद्र सिंह शामिल हैं।
इस सूची से ये पता चल रहा है कि इसमें कोई भी सीएम पद का दावेदार नहीं है। वहीं वसुंधरा के मुकाबले शायद ही भाजपा इन पर भरोसा करें लेकिन वसुंधरा को इग्नोर करना आसान नहीं होगा।
गहलोत को टक्कर देने के मामले में वसुंधरा से बेहतर कोई नहीं हो सकता है। उधर सोशल मीडिया पर ये बहस चल रही है आखिर कैसे बीजेपी वसुंधरा के बगैर राजस्थान के चुनावी दंगल में उतर सकती है।