अविनाश भदौरिया
सियासत गजब की चीज है, कहते हैं कि यहां जीते जी इंसानों की कद्र नहीं की जाती लेकिन मुर्दों पर नेता गिद्ध की तरह नजर गड़ाए रहते हैं। बस थोड़ा मौका मिला तो सियासी रोटियां सेकना शुरू। ऐसा ही कुछ महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह की मौत के बाद नजारा देखने को मिल रहा है।
उनके अंतिम वक़्त में मदद के लिए कोई आगे नहीं आया लेकिन अब राजनीतिक दलों में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है। कोई केंद्र की मोदी सरकार को भला-बुरा बता रहा है तो कोई नितीश कुमार को जिम्मेदार ठहरा रहा है लेकिन सच तो यह है कि इस जुर्म के गुनाहगार सब हैं। सच तो यह है कि सियासी गिद्धों के वशिष्ठ नारायण सिंह की मौत कोई दुखद घटना नहीं बल्कि लिए मसालेदर टॉपिक है।
बता दें कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने शुक्रवार को महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के बहाने बिहार की मौजूदा सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने डॉ सिंह के साथ मरणोपरांत किए गए व्यवहार पर दुख जताते हुए सरकार को आड़े हाथों लिया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री के ट्विटर हैंडल से शुक्रवार को ट्वीट कर कहा गया, “कल (गुरुवार को) बिहार गौरव और हमारी सांझी धरोहर महान गणितज्ञ आदरणीय डॉ। वशिष्ठ नारायण सिंह जी के निधन की खबर सुनकर बहुत दुख हुआ। मौत सबको एक ना एक दिन आनी ही है, लेकिन मरणोपरंत जिस प्रकार उनके पार्थिव शरीर के साथ असंवेदनशील नीतीश सरकार द्वारा जो अमर्यादित सलूक किया गया, वह अतिनिंदनीय है।’
एक अन्य ट्वीट में लिखा गया, “क्या बड़बोली डबल इंजन सरकार उस महान विभूति को एक एंबुलेंस तक प्रदान नहीं कर सकती थी? मीडिया में बदनामी होने के बाद क्या किसी के पार्थिव शरीर को बीच सड़क रोककर उन्हें श्रद्धांजलि देना एक मुख्यमंत्री को शोभा देता है? क्या अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान मुख्यमंत्री उन्हें कभी देखने गए?”
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एक अन्य ट्वीट में लालू प्रसाद ने राजद सरकार द्वारा सिंह के अच्छे अस्पताल में इलाज करवाने का दावा करते हुए कहा, “हमारे कार्यकाल में मैंने उनका अच्छे से अच्छे अस्पताल में इलाज करवाया। उनकी सेवा करने वाले पारिवारिक सदस्यों को सरकारी नौकरी दी, ताकि वो पटना में उनकी अच्छे से देखभाल कर सकें। महान गणितज्ञ आदरणीय डॉ। वशिष्ठ बाबू को कोटि-कोटि नमन और विनम्र श्रद्धांजलि।’
गौरतलब है कि डॉ़ सिंह का गुरुवार को पटना में निधन हो गया था। उनके परिजनों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल प्रशासन उन्हें सही समय पर एंबुलेंस तक नहीं उपलब्ध करा सका। लेकिन अब इस मुद्दे पर जिस तरह से सियासत हो रही है, उससे साफ़ समझा जा सकता है कि बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव में महान गणितज्ञ की मौत को भुनाने की योजना नेताओं ने बना ली है।
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