जुबिली न्यूज डेस्क
भाजपा सांसद वरुण गांधी पिछले कुछ समय से किसानों के मुद्दे पर सक्रिय है। वह कई बार अपनी ही सरकार को किसानों के मुद्दे पर कटघरे में खड़ा कर चुके हैं।
भाजपा सांसद किसानों की समस्याओं को लेकर एक बार फिर योगी सरकार पर हमला बोला है। वरुण गांधी ने कहा कि जो कठिन समय में काम न आए वो सरकार किस काम की है।
इसके साथ ही भाजपा सांसद ने लखीमपुर खीरी में धान न बिकने से नाराज किसान द्वारा अपनी ही फसल में आग लगाए जाने को लेकर भी कहा कि हमें कृषि नीति पर पुनर्चिंतन की जरूरत है।
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पिछले दिनों हुई भारी बारिश के कारण उत्तर प्रदेश के पीलभीत, लखीमपुर खीरी समेत तराई के जिलों में बाढ़ आ गई है। बाढ़ पीडि़तों की उचित मदद नहीं होने पर यूपी सरकार के प्रति पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी की नाराजगी एक बार फिर से सबके सामने आई है।
वरुण गांधी ने ट्वीट कर ही अपनी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ हमला बोल दिया। उन्होंने लिखा कि तराई का अधिकांश इलाका बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है। बाढ़ प्रभावित लोगों को सूखा राशन उपलब्ध कराया गया है ताकि इस आपदा के खत्म होने तक कोई भी परिवार भूखा ना रहे। यह दुख की बात है कि जब आम आदमी को प्रशासनिक व्यवस्था की सबसे ज्यादा जरूरत होती है तो उसी समय उसे उसके हाल पर छोड़ दिया जाता है। जब सब कुछ खुद ही करना है तो फिर सरकार किस काम की है।
Much of the Terai is badly flooded. Donating dry rations by hand so that no family is hungry till this calamity ends. It’s painful that when the common man needs the system the most,he’s left to fend for himself.If every response is individual-led then what does ‘governance’ mean pic.twitter.com/P2wF7Tb431
— Varun Gandhi (@varungandhi80) October 21, 2021
इसके अलावा उन्होंने लखीमपुर खीरी में एक किसान द्वारा मंडी में रखी धान की फसल को आग लगाए जाने पर भी उत्तर प्रदेश सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की।
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दरअसल लखीमपुर जिले के एक किसान करीब 14 दिन पहले मंडी में अपना धान बेचने के लिए आए थे। लेकिन अफसरों द्वारा उन्हें परेशान किया जा रहा था और उनका धान बिक नहीं पा रहा था, जिसकी वजह से उन्होंने गुस्से में मंडी में रखी अपनी धान की फसल पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी।
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लखीमपुर खीरी के इस मामले को लेकर वरुण गांधी ने योगी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यूपी के किसान समोध सिंह पिछले 15 दिनों से अपनी धान की फसल को बेचने के लिए मंडियों में मारे-मारे फिर रहे थे, जब धान बिका नहीं तो निराश होकर इसमें स्वयं आग लगा दी। इस व्यवस्था ने किसानों को कहां लाकर खड़ा कर दिया है? कृषि नीति पर पुनर्चिंतन आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है।