जुबिली न्यूज डेस्क
वरुण धवन और जाह्नवी कपूर स्टारर ये फिल्म ‘बवाल’ आज प्राइम वीडियो पर रिलीज हो चुकी है. नितेश तिवारी की निर्देशन में बनी ये फिल्म यू तो एक लव-स्टोरी है, लेकिन हिन्दी सिनेमा की बात करे तो ये आम सी दिखने वाली लव-स्टोरी से बेहद ही अलग है और साथ में फिल्म में इस्तेमाल किया गया ‘वर्ल्ड वॉर 2’ यानी द्वितीय विश्व युद्ध की वो झलकियां जो इस कहानी में एक्साइटमेंट और बढ़ा देती हैं. तो आइए आपको इस रिव्यू में बताते हैं.
बता दे कि एक प्रेम कहानी को पकने और पनपने के लिए जिस ठहराव और धैर्य की जरूरत है, वो इस फिल्म में आपको बखूबी देखने को मिलेगी. कहानी का फर्स्ट हाफ जहां आपको हंसाता है, तो वहीं सेकंड हाफ में कई इमोशनल सीन सोचने पर मजबूर करते हैं.निर्देशक नितेश तिवारी हमें ‘दंगल’ और ‘छिछोरे’ जैसी कहानियां दिखा चुके हैं, जो अपने हर सीन के बाद दूसरे सीन को देखने और उससे जुड़े रहने की चुंबकीय शक्ति रखती है.
अगर इस फिल्म की बात करें तो ‘बवाल’ नितेश की पुरानी दो फिल्मों की लीग में उस स्तर को आगे बढ़ाने में तो नहीं जुड़ पाएगी. स्क्रिप्ट का ये ढीलापन ही इस फिल्म का सबसे बड़ा ड्रॉबैक है. निखिल महरोत्रा, श्रेयस जैन, पीयूष गुप्ता और खुद नितेश तिवारी ने मिलकर ये कहानी लिखी है, लेकिन ये 4 मिलकर भी इसकी कसावट नहीं कर पाए.
क्या दिल को भाएगा
एक्टिंग की बात करें तो यही इस फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है. वरुण धवन अपने अज्जू भैया के किरदार में बिलकुल जचे हैं. अपने इमेज खराब होने के डर से जो घबराहट उनके चहरे पर आती है, उसपर यकीन करने का मन करता है. जाह्नवी कपूर ने इस फिल्म के जरिए साबित किया है कि वो अपने क्राफ्ट को निखारने के लिए लगातार काम कर रही हैं. वो कई सीन में काफी सटल रही हैं. इस किरदार में निशा को बोलने से ज्यादा महसूस कराना था और जाह्नवी ने ये काम पूरी इमानदारी से किया है.
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ये फिल्म एक बार जरूर देखी जानी चाहिए
अपने अंदर की लड़ाई को इतिहास की गलतियों से समझने और उसे पर्दे पर उतारने की कोशिश करती ये कहानी एक नया और अच्छा प्रयास है. ‘बवाल’ यही काम इतिहास की कहानियों को दिखाकर करती है. निर्देशक नितेश तिवारी की ये फिल्म एक अच्छा प्रयोग है, बशर्ते इसकी कहानी पर थोड़ा और काम किया जा सकता था. ये फिल्म एक बार जरूर देखी जानी चाहिए.