स्पेशल डेस्क
लखनऊ। मोदी राज में बेरोजगारी चरम पर है। हालांकि सरकार ऐसा दावा करती है ऐसा कुछ भी नहीं है। आलम तो यह है बेरोजगारी इतनी ज्यादा बढ़ गई है लोग मौत को गले लगे रहे हैं लेकिन सरकार है कि नींद से जागती नहीं है। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि साल 2018 में हर दिन 35 बेरोजगारों ने इससे परेशान होकर अपनी जान तक दे डाली है। खुद मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कुछ इसी तरह का मामला सामने आ रहा है।
मोदी अक्सर बनारस की यात्रा पर जाते है लेकिन वहां पर बेरोजगारी इतनी ज्यादा बढ़ गई लोग अब मौत की आगोश में जाना ही बेहतर समझ रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण तब देखने को मिला जब पीएम मोदी के दौरे से ठीक एक दिन पहले ही बेरोजगारी और तंगहाली के चलते परिवार के साथ सामूहिक आत्महत्या की है।
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मोदी जब बनारस आये थे तो कई बड़े-बड़े दावे किये थे लेकिन उसमें कितने पूरे हुए ये किसी को पता नहीं है लेकिन बेरोगारी के मुद्दे पर पीएम मोदी ज्यादा नहीं ही बोलते हैं।
बेरोजगारी पर लगा है मुंह पर ताला
सामूहिक आत्महत्या की इस घटना से पूरे बनारस में काफी गुस्सा है। पीएम मोदी यहां पर 2 सौ करोड़ रुपए की 48 परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करने की तैयारी में है। इतना ही नहीं बीएचयू के 430 बिस्तर वाले सुपर स्पेशलिटी अस्पताल और बीएचयू में 74 बेड के साइकिएट्री अस्पताल का उद्घाटन भी करने की बात कही जा रही है।
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इसके आलावा मोदी पड़ाव स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय स्मृति उपवन में उनकी 63 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण कर जनता के बीच अपनी बात रखेंगे लेकिन बेरोजगारी से हो रही मौत पर कौन जवाब देगा, इस पर अभी हर किसी के मुंह पर ताला लगा हुआ है।
परिवार ने आखिर क्यों सामूहिक आत्महत्या करने का फैसला किया
आदमपुर इलाके के नचनी कुआं मोह में रहने वाले चेतन तुलस्यान पिछले काफी समय अपनी आर्थिक स्थिति से परेशान रहे लगे थे। इतना ही नहीं स्वास्थ्य एवं कर्ज में डूबा पूरा परिवार लगातार जूझ रहा था लेकिन हालात मौत के दरवाजे तक जा पहुंचेंगे ये किसी ने नहीं सोचा था।
चेतन तुलस्यान ने पहले बेटे, बेटी व पत्नी को मौत की नींद सुलायी और फिर उसके बाद खुद को फांसी लगा ली।
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इतना ही नहीं उसने 11 पन्ने का सुसाइड नोट लिखा लेकिन इस नोट जो लिखा है शायद सरकार को भी सोचना चाहिए। दरअसल उसने लिखा है कि बच्चों ने लिखा था कि पापा हमें नीद की गोली खिला कर सुला देना। इसके बाद गला दबा कर मार देना।
बेरोजगार और स्वरोजगार से जुड़े कुल 26085 लोगों ने आत्महत्या की
देश में बेरोजगारी इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि लोग बेहाल होकर मौत को गले लगा रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से जारी हालिया आंकड़ों पर थोड़ा गौर करे तो आपको झटका लग सकता है। 2018 के आंकड़ों पर नजर दौड़ायी जाये तो बेरोजगार और स्वरोजगार से जुड़े कुल 26085 लोगों ने आत्महत्या की।
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आत्महत्या का मामला लगातार बढ़ रहा है
सबसे बड़ी बात यह है कि आंकड़ा कृषि क्षेत्र में खुदकुशी के कुल मामलों से 10349 अधिक है जबकि आत्महत्या करने वालों में 12936 ऐसे लोग है जो रोजी-रोटी की वजह से ऐसा कदम उठाया है। दूसरी ओर वहीं, 13149 स्वरोजगार करते थे। 2018 में महिलाओं की खुदकुशी के कुल 42391 मामले सामने आये थे। इनमें 54.1 फीसदी यानी 22937 घर की कामकाजी महिलाएं हैं। आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाने वाले कुल लोगों में उनकी हिस्सेदारी करीब 17.1 प्रतिशत है।
सवाल यह है कि आखिर कब तक बेरोजगारी से परेशान होकर लोग अपनी जान देते रहेंगे। एनसीआरबी के अनुसार हर 2 घंटे में 3 बेरोजगार कर रहे हैं खुदकुशी लेकिन सरकार इसे मानने को तैयार नहीं है। कुल मिलाकर मोदी के बनारस दौरे से पहले सामूहिक आत्महत्या का मामला सुर्खियों में आ गया है। अब देखना होगा कि क्या मोदी बेरोजगारी को लेकर कुछ बोलते हैं या नहीं।