रश्मि शर्मा
टिहरी गढ़वाल। उत्तराखंड में चुनाव पहले चरण में है पर ज्यादातर शहरों में और खासकर राजधानी या आसपास तो इसका पता भी नही चल रहा है। दूर-दराज के पहाड़ी इलाकों में जरुर प्रचार दिखता है पर इक्कादुक्का गाड़ियां या पोस्टर ही नजर आते हैं।
उत्तराखंड की सभी सीटों पर 11 अप्रैल को मतदान होना है पर प्रत्याशी से लेकर मतदाता तक चुप्पी ओढ़े ही नजर आ रहे हैं। अमूमन हर लोकसभा चुनावों की तरह इस बार राज्य में न तो रैलियों का शोर न ही कहीं रोड शो दिख रहा है। पहले लोकसभा और फिर विधानसभा चुनावों में मुंह के बल गिर चुकी कांग्रेस जरुर एक बार फिर से झाड़ पोंछ कर मैदान में ताल ठोंक रही है पर भितरघात से वह भी परेशान है। भाजपा ने अपने दो सांसदों का टिकट काटा है पर नए प्रत्याशियों को भी विरोधियों के साथ ही अपनों से लड़ना पड़ रहा है।
टूटेगा इस बार क्लीन स्वीप का रिकार्ड
उत्तर प्रदेश से अलग हो गठन के बाद से ज्यादातर समय उत्तराखंड में चुनावों में किसी एक पार्टी को इकतरफा जीत ही मिलती रही है। कांग्रेस या भाजपा इस राज्य में बारी बारी से पांचों सीटों पर कब्जा जमाती रही हैं। उत्तराखंड में पांचों सीटें जीतने वाली पार्टी ही केंद्र में सरकार भी बनाती रही है। हालांकि इस बार उत्तराखंड की हवा बदली नजर आ रही है।
राज्य में इस बार पांच के मुकाबले शून्य की जगह दोनो दलों की स्थिति कुछ खास जगहों पर मजबूत नजर आ रही है। मैदानी इलाकों की दोनो सीटों हरिद्वार और नैनीताल पर मुकाबले बराबरी का दिख रहा है तो पहाड़ी इलाकों पौड़ी, टिहरी और अल्मोड़ा में भी कमोबेश यही हालात हैं। सभी जगहों पर पुराने सांसदों के खिलाफ नाराजगी तो है पर विपक्ष को लेकर उत्साह भी नदारद है।
बड़ी सर्जरी नहीं कर सकी भाजपा, पुरानों पर दांव
भाजपा ने अपने पांच सांसदों में एक नैनीताल से भगत सिंह कोश्यारी का टिकट उम्र की बिना पर काट दिया है तो पौड़ी गढ़वाल से सांसद बीसी खंडूरी को उनके बेटे की बगावत का खामियाजा भुगतना पड़ा है। पौड़ी से बीसी खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी कांग्रेस के टिकट पर हैं तो उनसे मुकाबिल हैं भाजपा के कद्दावर तीर्थ सिंह रावत।
परंपरागत रुप से पौड़ी ब्राह्मण व नैनीताल ठाकुर बहुल सीट मानी जाती पर भाजपा ने इस बार उलटफेर कर दिया है। पौड़ी से ठाकुर तारथ सिंह रावत को तो नैनीताल से ब्राह्म्ण अजय भट्ट को टिकट दिया है। बाकी की सीटों पर पुरानों को ही अजमाया गया है। कांग्रेस ने अलबत्ता पुराने जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए नैनीताल से हरीश रावत को टिकट दिया है।
पस्त कांग्रेस में जमकर भीतरघात
हरिद्वार की सीट पर कांग्रेस ने सपा से आए अंबरीष कुमार को टिकट दिया है। उनके सामने भाजपा के कद्दावर नेता, पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक हैं। इस सीट पर बाहर से आए नेता को टिकट देने के चलते पुराने कांग्रेसी अंबरीष के प्रचार में खुल कर सामने नही आ रहे हैं।
राज्य में कांग्रेस का चेहरा कहे जाने वाले हरीश रावत के समर्थक भी अंबरीष से किनारा किए हुए हैं। खुद कांग्रेसियों का कहना है कि हरीश के लोगों की रुचि बसपा प्रत्याशी सैनी को जिताने में ज्यादा है। उनका मानना है कि सजातीय वोटों, दलितों व मुसलमानों के दम पर बसपा प्रत्याशी भाजपा के निशंक को हरा सकता है।
कुछ इसी तरह के हालात नैनीताल में हरीश रावत के सामने भी हैं जहां स्व. नारायणदत्त तिवारी समर्थक अभी तक पशोपेश में हैं। तिवारी जी की खास कही जाने वाली इंदिरा ह्द्येश को मेयर के चुनाव में हलद्वानी से अपने बेटे के हारने का मलाल अभी तक है और वो इसके लिए हरीश रावत को दोषी मानती हैं। कांग्रेसियों का मानना है कि इंदिरा की नाराजगी हरीश को भारी पड़ सकती है। हालांकि हरीश की पूरी कोशिश इंदिरा को मनाने की है।
खंडूरी कांग्रेस में मिले पर कांग्रेसियों के दिल नहीं मिले
भाजपा के वरिष्ठ नेता के पुत्र और अब कांग्रेस प्रत्याशी मनीष खंडूरी अब पिता की सीट से मैदान में हैं। कांग्रेसियों के सामने दुविधा है कि बेटे के लिए प्रचार में सांसद पिता के कामकाज का विरोध कैसे करें। तब यह स्थिति और विकट हो जाती है जब बीते पांच साल से मनीष खंडूरी ही पिता का सारा काम देख रहे थे। पौड़ी सीट पर मनीष खंडूरी के प्रचार में उनके पुराने भाजपाई साथी तो लगे हैं पर कांग्रेस कार्यकर्त्ता मन से नहीं दिख रहे हैं। पुराने कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पौड़ी सीट जीतने के लिए पार्टी को खंडूरी के अपमान, भाजपा के कामकाज को मुद्दा बनाना होगा वरना इस सीट पर भी दिक्कत पेश आएगी।