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उत्तराखंड आपदा: गृहमंत्री ने बताया- 197 लोग अभी भी लापता, मरीन कमांडों भी पहुंचे

जुबिली न्‍यूज डेस्‍क

उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आई तबाही के बाद तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की एक सुरंग में फंसे करीब 34 व्यक्तियों को सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। पर सुरंग में मलबा अधिक होने के कारण मुश्किलें पेश आ रही हैं, सुरंग के अंदर एक वाहन भी फंसा है।

ऐसे में टनल के मुख्य द्वार से मलबा हटाने में देरी होने के बाद अब बीच से रास्ता ढूंढने की कोशिश की जा रही है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आइटीबीपी और सेना वहां बचाव व राहत कार्य संचालित कर रहे हैं। वहीं, 206 लापता लोगों में से 32 के शव अब तक बरामद हो चुके है, जबकि टीम को सात मानव अंग भी मिले है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि उत्तराखंड में रविवार को ऋषिगंगा नदी में अचानक आयी बाढ़ के कारण एक सुरंग में फंसे, एनटीपीसी की निर्माणाधीन परियोजना के करीब 25 से 35 कर्मियों को निकालने का कार्य युद्धस्तर पर जारी है। इस हादसे में एक अन्य सुरंग में फंसे 15 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है।

शाह ने राज्यसभा में उत्तराखंड बाढ़ आपदा पर स्वत: आधार पर दिए गए एक बयान में कहा कि सात फरवरी को सुबह लगभग दस बजे उत्तराखंड के चमोली जिले में अलखनंदा की एक सहायक नदी ऋषिगंगा के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में हिम स्खलन की एक घटना घटी। इसके कारण ऋषिगंगा नदी के जल स्तर में एकाएक काफी वृद्धि हो गयी।

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उन्होंने कहा कि ऋषिगंगा में आयी बाढ़ के कारण 13.2 मेगावाट क्षमता की एक पनबिजली परियोजना पूरी तरह बह गयी। इस बाढ़ के कारण निचले इलाके तपोवन में एनटीपीसी की निर्माणाधीन 520 मेगावाट की पनबिजली परियोजना को भी नुकसान पहुंचा।

शाह के अनुसार, उत्तराखंड सरकार ने बताया है कि अब निचले क्षेत्र में बाढ़ का कोई खतरा नहीं है। साथ ही जल स्तर में भी कमी आ रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य की सभी एजेंसियां स्थिति पर कड़ी निगाह रखे हुए हैं।

गृह मंत्री ने उपग्रह से मिली सूचनाओं को साझा करते हुए कहा कि समुद्रदल से करीब 5,600 मीटर ऊपर हिमनद के मुहाने पर हिमस्खलन हुआ। यह हिमस्लखन लगभग 14 वर्ग किलोमीटर जितना बड़ा था। इसी के कारण ऋषिगंगा के निचले क्षेत्रों में अचानक बाढ़ की स्थिति बन गयी।

शाह ने उत्तराखंड सरकार से मिली सूचना को साझा करते हुए कहा कि सोमवार की शाम पांच बजे तक इस आपदा में 20 लोगों की जान जा चुकी थी और छह लोग घायल हुए। इस आपदा में 197 लोग लापता हुए जिसमें एनटीपीसी की निर्माणाधीन परियोजना के 139 कर्मचारी, ऋषिगंगा कार्यरत परियोजना के 46 कर्मचारी और 12 ग्रामीण शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि एनटीपीसी के 12 व्यक्तियों को एक सुरंग से सुरक्षित बचा लिया गया है। ऋषिगंगा परियोजना के 15 लोगों को भी घटना के समय बचा लिया गया था। शाह ने कहा, ”एनटीपीसी की एक अन्य सुरंग में अंदाजन 25 से 35 लोग फंसे हुए हैं। इन लोगों को बचाने का प्रयास युद्धस्तर पर जारी है। साथ ही लापता व्यक्तियों को ढूंढने का काम भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस आपदा में जान गंवाने वाले लोगों के निकट परिजन को चार-चार लाख रूपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। शाह ने कहा कि घटना स्थल के समीप के 13 गांवों से संपर्क बिलकुल कट गया है। इन गांवों में रसद, जरूरी सामान और दवा आदि सामग्रियों को हेलीकाप्टर के जरिये पहुंचाया जा रहा है।

गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र द्वारा उच्च स्तर पर 24 घंटे निगरानी रखी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय के दोनों नियंत्रण कक्ष भी स्थिति पर 24 घंटे निगाह रख रहे हैं तथा राज्य सरकार को हर-संभव सहायता दी जा रही है।

उन्होंने कहा कि विद्युत राज्य मंत्री ने घटनास्थल का दौरा कर वहां चलाये जा रहे राहत कार्यों का जायजा लिया है। आईटीबीपी ने वहां अपना राहत केंद्र स्थापित कर लिया है और बल के 450 जवान राहत कार्यों में लगे हुए हैं।

शाह ने कहा, ”राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के पांच दल भी मौके पर पहुंच गये हैं। सेना के आठ दल, जिनमें एक अभियांत्रिकी दल भी शामिल है, घटनास्थल पर बचाव कार्य में जुटे हैं। एक मेडिकल कॉलम और दो एम्बुलेंस भी घटनास्थल पर तैनात हैं। इस काम में नौसेना के एक गोताखोर दल और वायुसेना के पांच हेलीकाप्टरों को भी लगाया गया है।” उन्होंने कहा कि जोशीमठ में भी एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है।

गृह मंत्री ने बताया, ”जिस सुरंग में लोग फंसे हैं, वहां रात भर सेना के अथक प्रयासों के बाद मुहाने पर जमा मलबे को हटाकर काफी अंदर तक प्रवेश किया जा चुका है।” उन्होंने बताया कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सात फरवरी को शाम साढ़े चार बजे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति की बैठक कर बचाव एवं राहत कार्यों के बारे में विचार विमर्श किया गया।

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शाह ने कहा कि आपदा एवं बचाव कार्यों में राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियां भी जुटी हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सभी स्थानों पर बिजली आपूर्ति बहाल कर दी है। उन्होंने सदन को भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार राहत एवं बचाव कार्य के लिए जो भी आवश्यक कार्य हैं, उन्हें राज्य सरकार के साथ मिलकर कर रही है तथा इसके लिए जिस भी सहायता की आवश्यकता होगी, वह उपलब्ध करायी जाएगी।

इसके बाद सभी सदस्यों ने इस आपदा में जान गंवाने वाले लोगों के सम्मान में कुछ पलों तक अपने स्थानों पर खड़े होकर मौन रखा।सभापति ने दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए उम्मीद जतायी कि इस आपदा के बाद चलाये जा रहे बचाव एवं राहत कार्य से लोगों को समुचित लाभ मिलेगा।

 

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