हेमेंद्र त्रिपाठी
देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि लगातार तीसरी बार देश के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों की सूची में योगी आदित्यनाथ पहले पायदान पर बरकरार है।
एक सर्वे में उन्हें कुल वोटों का 24 प्रतिशत वोट मिला है, जो कि पिछले सर्वे के मुकाबले 6 प्रतिशत ज्यादा है। इसके चलते उन्हें सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले मुख्यमंत्रियों की लिस्ट में पहला स्थान मिला है।
दरअसल इंडिया टुडे और कार्वी इनसाइट्स के ‘मूड ऑफ द नेशन’ सर्वे कराया गया। इस सर्वे के अनुसार, देश के टॉप-7 बेहतर प्रदर्शन करने वाले मुख्यमंत्रियों में से 6 गैर-भाजपा और गैर-कांग्रेसी राज्यों से हैं। इस सर्वे में सबसे बड़ा नुकसान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हुआ है। जाहिर है कि योगी आदित्यनाथ से पहले लगातार तीन बार देश की सर्वश्रेष्ठ सीएम ममता ही थी जोकि अब चौथे स्थान पर पहुंच गई हैं।
किये गये सर्वे में ममता को सिर्फ 9 फीसदी ही वोट मिले, जो कि योगी के मुकाबले एक-तिहाई हैं। वहीं दूसरे स्थान पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रहे जिन्हें 15 फीसदी वोट मिले। इसके बाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी तीसरे स्थान पर रहे जिन्हें 11 फीसदी वोट मिले।
दरअसल यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बढ़ती लोकप्रियता के पीछे उनकी कठोर निर्णय लेने की शक्ति और हिंदूवादी चेहरा माना जा रहा है। योगी को कट्टर हिन्दू माना जाता है जिसकी कोई सीमा भी नहीं हैं। इसके साथ ही वो एक ऐसे मुख्यमंत्री भी है जिनकी दिनचर्या सुबह तीन बजे से शुरू हो जाती है।
सुबह तीन बजे उठने के बाद दैनिक क्रिया करने के बाद वो सुबह नौ बजे तक अफसरों से संपर्क करते हैं। इसके बाद शुरू होता दस बजे से बैठकों का सिलसिला। इसके अलावा अगर कहीं दौरा करना हुआ तो योगी दस से ग्यारह बजे तक निकल जाते हैं।
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ सिर्फ हिंदुत्व की बात ही नहीं करते बल्कि हिंदुत्व को जीते हैं। उनके हिंदुत्व से कौन सहमत है या असहमत है, यह अलग मुद्दा है। पर उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश इस समय हिंदुत्व की धारा को तेज धार दे रहा है। यही वजह है कि कई बीजेपी शासित राज्य जैसे मध्य प्रदेश, हरियाणा उनकी नक़ल कर रहे हैं। सभी हिंदुत्व को लेकर ज्यादा से ज्यादा सक्रीय हो गये हैं।
बात करें योगी की बढ़ती लोकप्रियता की तो उन्होंने सीएम रहते हुए कई ऐसे अहम फैसले लिए जिसकी वजह से उनका राजनीतिक एजेंडा बहुत मजबूत हुआ है। यह कटु सत्य है। फिर चाहे वो सीएए आन्दोलन हो या फिर लव जिहाद।
दोनों ही मामलों से निपटने के लिए उनकी पुलिस ने बहुत बेरहमी दिखाई इस बात से कोई ऐतराज नहीं कर सकता। इसको लेकर उनकी खूब आलोचना भी हुई लेकिन इससे सीएम योगी को और मजबूती मिली।
हमेशा से हिंदुत्व जैसे मुद्दे को लेकर चलने वाले योगी आदित्यनाथ इतने लोकप्रिय हो गये कि हैदराबाद के निकाय चुनाव में बीजेपी को बड़ी ताकत मिली। उस चुनाव में स्टार प्रचारक सीएम योगी आदित्यनाथ ही तो थे, जो चुन चुन कर लोगों के सामने एजेंडा रख रखे थे।
इस एजेंडे के तहत मुस्लिम समाज को एक खलनायक के रूप में खड़ा कर दिया जाता है, फिर इस खलनायक से एक काल्पनिक लड़ाई लड़कर हिंदू समाज के एक बड़े हिस्से को संतुष्ट कर दिया जाता है। हैदराबाद का नाम बदलने का नारा इसका एक मजबूत उदाहरण है।
इसी क्रम में प्रदेश के मुस्लिम बाहुबलियों के अवैध निर्माण पर योगी द्वारा की सख्त कारवाई ने उनकी एक अलग पहचान बना दी। उन्होंने कई मुस्लिम बाहुबलियों के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलवा कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्वांचल ही नहीं हिंदी पट्टी में अपनी अलग पहचान बना ली है।
आप उनकी राजनीति से भले ही न सहमत हों पर उनकी राजनीति बहुत मजबूत हो रही है। वर्ना बाहुबली तो हिंदू भी थे। कुछ हिंदू बाहुबली भी निशाने पर रहे हैं मसलन गोरखपुर में बाहुबली हरिशंकर तिवारी। पर वह एक अलग लड़ाई है। उससे भ्रमित भी नहीं होना चाहिए।
बढ़ती लोकप्रियता
इन्ही फैसलों की वजह से ही देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारतीय जनता पार्टी में अपनी जगह को और मजबूत कर लिया है। उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सबसे ज्यादा प्रभाव अगर उत्तर भारत के हिंदू जन मानस पर किसी का है तो वे योगी आदित्यनाथ ही हैं। उन्होंने यह उपलब्धि बीते कुछ वर्ष में ही हासिल की है।
इसमें सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री बनने के बाद मिली है। संघ परिवार और बीजेपी का मूल एजेंडा हिंदुत्व रहा है और उसमें बड़ी सफलता पहले आडवाणी को मिली तो बाद में नरेंद्र मोदी को। इसके बाद अगर किसी नेता की है तो वो योगी आदित्यनाथ हैं।
बनाई हिन्दू युवा वाहनी
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि योगी कभी भी संघ परिवार का हिस्सा नहीं रहे हैं। एक दौर में उन्होंने गोरखपुर में खुद ही हिंदुत्व की जो प्रयोगशाला शुरू की वह संघ के कई प्रयोगों पर ज्यादा भारी पड़ी है। कट्टर हिंदुत्व की धारा पर चलते हुए योगी ने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया जिसने पूर्वी उत्तर प्रदेश में आक्रामक हिंदुत्व को मजबूत कर दिया।
गोरखपुर ही नहीं बल्कि पूर्वांचल के कई जिले कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, संत कबीर नगर से लेकर बस्ती गोंडा तक बीजेपी से ज्यादा योगी की हिन्दू युवा वाहिनी का अहम किरदार है।
एक समय था योगी आदित्यनाथ जब पूर्वांचल में राजपूतों के सबसे बड़े नेता माना जाता था लेकिन अब वे सिर्फ पूर्वांचल ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत और मध्य भारत के शीर्ष हिन्दू नेताओं में से एक माने जाने लगे हैं ये मुकाम उन्होंने अपने फैसलों से पाई हैं।
सीएम योगी का काम करने का तरीका वहीं है जो कभी गुजरात में सीएम बनने के बाद नरेंद्र मोदी हुआ करता था। खास बात ये हैं कि अपने नए नए फैसलों को लेकर न तो मोदी ने और न ही योगी ने संघ की कोई ख़ास मदद नहीं ली।
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दूसरी तरफ मोदी अपने परिवार को राजनीति से दूर रखते हैं, तो योगी संन्यासी हैं। घर परिवार से मोदी कुछ वास्ता रखते भी होंगे पर योगी ने न तो शादी की और न परिवार से कोई ज्यादा नाता रखा।
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मोदी तो शानदार वेशभूषा और घड़ी ,चश्मा ,पेन आदि इस्तेमाल करते हैं लेकिन योगी तो सिर्फ संन्यासी वाले कपड़े ही पहनते हैं। इससे ज्यादा सादगी क्या रहती हैं। खानपान भी योगी का संन्यासी वाला ही है। मौजूदा समय में बीजेपी में उनसे ज्यादा सक्रिय नेता और कोई नहीं दिखता। इसमें उनकी उम्र भी मददगार है।
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जिस तरह से योगी सुबह चार बजे से देर रात तक सक्रिय रहते हैं। ऐसा कर पाना आम नेता के लिए संभव नहीं है। हिंदी पट्टी में क्या कोई नेता है जो सुबह इतनी जल्दी उठकर अपनी दिनचर्या शुरू करता हो। मुलायम सिंह यादव ऐसे नेता रहे हैं। लेकिन आज के दौर में ऐसा कोई दूसरा नेता आपको नहीं मिलेगा।