जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रदर्शनकारियों से बरामद करोड़ों रुपये वापस करने को कहा है। इस पूरे मामले में यूपी सरकार ने शुक्रवार को कोर्ट में कहा है कि उसने सार्वजनिक और निजी संपत्ति को हुए नुकसान के लिए 2019 में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई और 274 रिकवरी नोटिस वापस ले ली है।
इसके जवाब में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकान्त की बेंच ने कहा कि राज्य सरकार करोड़ों रुपये की पूरी राशि वापस करेगी, जो इस कार्रवाई के तहत कथित प्रदर्शनकारियों से वसूली गई थी। हालांकि कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नए कानून के तहत कथित सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की स्वतंत्रता दी है।
बता दे कि उत्तर प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2019 में कथित CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों को जारी भरपाई नोटिस पर कार्रवाई की थी, जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने 11 फरवरी को सरकार को फटकार लगाई थी।
बता दें कि साल 2019 में यूपी में नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर जोरदार प्रदर्शन देखने को मिला था और लोगों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
बता दे कि नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ इसी 19 दिसम्बर को राजधानी लखनऊ में हुए प्रदर्शन के बाद व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई थी. इस दौरान दो पुलिस चौकियों समेत सैकड़ों गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया था।
पुराने और नये लखनऊ में कई जगह आरोपितों के पोस्टर लगाए गए थे । प्रदर्शनकारियों के घरों के बाहर भी पोस्टर लगाए गए थे । जबकि मौलाना सैफ अब्बास, डॉ. कल्बे सिबतैन नूरी, सदफ जाफर और दीपक कबीर सहित सीएए-एनआरसी के 14 अन्य आरोपितों के पोस्टर सड़कों पर लगाए गए थे ।
इस हिंसा में हुए नुकसान का आंकलन कर सरकार ने आरोपितों से एक करोड़ 41 लाख रुपये की वसूली का नोटिस जारी किया था। प्रशासन ने इस वसूली के लिए 53 आरोपितों की पहचान का दावा करते हुए उन्हें नोटिस भेजे थे।
उस समय राजधानी लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बताया था खदरा इलाके में 13 लोगों से 21 लाख 76 हजार, परिवर्तन चौक इलाके में 24 लोगों से 69 लाख 65 हजार रुपये, ठाकुरगंज में 10 लोगों से 47 लाख 85 हजार रुपये और कैसरबाग इलाके में 6 लोगों से एक लाख 75 हजार रुपये की वसूली की जानी है सम्बंधित आरोपितों को नोटिस भेजे जा चुके हैं। इस वसूली का काम अप्रैल में पूरा हो जाना था।