जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं में से एक मोहम्मद आज़म खां को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम ज़मानत मिलने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति का घमासान तेज़ होने का अंदेशा बढ़ गया है। गेंद अब पूरी तरह से आज़म खां के पाले में है। वह किस तरह से खेलेंगे सारा दारोमदार उसी पर निर्भर करेगा।
समाजवादी पार्टी के असंतुष्ट विधायक और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने आज़म खां की ज़मानत पर जिस तरह से कहा था कि जिस घड़ी का इंतज़ार था वो आ गई है उसके बाद यह बात तय है कि चचा-भतीजे के बीच शब्दों के तीर एक बार फिर से चलेंगे।
हालांकि 27 महीनों बाद जेल से बाहर आने पर आजम खान ने चुप्पी तोड़ी है और कहा है कि समाजवादी पार्टी और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से कोई नाराजगी नहीं है। आजम खान ने अपनी बेहद शायराना अंदाज में रखते हुए कहा कि ‘लंबी थी गम की रात, मगर रात ही तो थी। सवेरा तो होना ही था। आजम खान ने कहा कि जेल के माहौल में उनको बाहर की खबरें नहीं मिल पाती थीं, बहुत ज्यादा पाबंदियां थीं।
आजम खान ने एक मीडिया को दिये बयान में कहा कि जेल प्रशासन जिनसे मुलाकात की इजाजत देता था, उनसे मिल लेते थे। बाकी मेरे ऊपर इसकदर पाबंदियां थीं कि बाहर के हालात के बारे में टिप्पणी करने की हैसियत में नहीं हैं हम। लेकिन इतना है कि जिसने साथ दिया उसका शुक्रिया, जिसकी मजबूरी रही उसका शुक्रिया। कोई गिला नहीं है और कोई शिकवा नहीं है।
आज़म खां की पत्नी तन्जीन फात्मा ने इसे सच्चाई की जीत बताया है।अब्दुल्ला आज़म ने ट्वीटर पर सुप्रीम कोर्ट ज़िन्दाबाद लिखा है। 2020 से लगातार जेल में बंद आज़म खां को नियमित ज़मानत मिलने तक सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम ज़मानत जारी रहेगी। आज़म खां नियमित ज़मानत के लिए दो हफ्ते के भीतर अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं।