जुबिली न्यूज़ डेस्क
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां जोरो पर हैं। सभी दलों की नजर होने वाले इस पंचायत चुनाव पर हैं। दरअसल होने वाले पंचायत चुनाव को उत्तर प्रदेश के अगले विधानसभा चुनाव 2022 का सेमी फाइनल माना जा रहा है। इसलिए सभी राजनितिक पार्टियां इस चुनाव में अपना दमखम दिखाने में लगी हुई है। उम्मीदवार अपनी अपनी तैयारी में लगे हुए हैं. इंतजार है तो बस आरक्षण नीति लागू होना का।
बताया जा रहा है कि इस बार प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव में योगी सरकार ,अखिलेश सरकार के फैसले को बदल कर नए सिरे से आरक्षण नीति लागू करने के निर्देश दिए हैं। पिछली बार साल 2015 हुए पंचायत चुनाव में अखिलेश सरकार ने यूपी पंचायतीराज नियमावली 1994 में संशोधन कर ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्यों के पदों के लिए पूर्व में हुए आरक्षण के प्रावधान को शून्य कर दिया था।
सपा सरकार के इस फैसलों को मंगलवार हुई बैठक में योगी सरकार ने पलट दिया। इसके तहत 1995 से अब तक के 5 चुनावों में जो पंचायतें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होती रहीं और ओबीसी के आरक्षण से वंचित रह गईं। वहां अब ओबीसी का आरक्षण होगा।
कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद प्रदेश सरकार ने आगामी पंचायत चुनाव में प्रधान, बीडीसी व ग्राम पंचायत सदस्यों के आरक्षण से संबंधित नियमों में परिवर्तन कर इनको नए सिरे से लागू करने का आदेश दे दिया है।
इस संबंध में अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज विभाग मनोज सिंह ने आदेश जारी किया है। जारी किएगए नए आदेश के तहत अब सभी 75 जिलों में एक साथ पंचायत के वार्डों के आरक्षण की नीति लागू होगी। इस प्रक्रिया के अनुसार 1995 से अब तक के पांच चुनावों में जो पंचायतें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होती रहीं और वो ओबीसी के आरक्षण से वंचित रह गई, वहां अब ओबीसी का आरक्षण होगा।
इसके अलावा जिन पंचायतों में अभी तक ओबीसी के लिए आरक्षित होती रहीं है अब वो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होंगी। इसके बाद जो पंचायतें बचेंगी, वह आबादी के घटते अनुपात में चक्रानुक्रम के अनुसार सामान्य वर्ग के लिए होंगी। गौरतलब है कि अब तक 18000 ग्राम पंचायतें आरक्षण से वंचित रह गई थीं। इसके अलावा 100 क्षेत्र पंचायतें दर्जन जिला पंचायत में भी आरक्षण लागू नहीं हुआ था।