जुबिली न्यूज़ डेस्क
कोरोना महामारी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था की हालत खस्ता है। केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए लगातार प्रयासरत है। हालांकि धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश के अमेठी में कुछ ऐसा कारनामा हुआ है जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार की गुंजाईश हो सकती है।
दरअसल दिवाली के खास मौके पर अमेठी में प्रशासन के प्रयास से पूरे प्रदेश में स्टाम्प कलेक्शन के मामले नंबर एक पर पहुंच गया है। अमेठी में उत्तर प्रदेश की सबसे महंगी रजिस्ट्री हुई है। जिले के मुसाफिरखाना तहसील में बीते दिन हुई इस रजिस्ट्री ने प्रदेश में अब तक हुई रजिस्ट्री में मिलने वाले स्टांप व रजिस्ट्री शुल्क के सभी पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया है।
बताया जा रहा है कि इस रजिस्ट्री को कराने वाली कंपनी ने 1.41 अरब से ज्यादा का स्टांप व 20.22 करोड़ से ज्यादा का रजिस्ट्री शुल्क ई-पेमेंट के जरिए प्रदेश सरकार के ख़जाने में जमा कराया है। और ये कंपनी है आदित्य बिड़ला ग्रुप की कंपनी ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड।
कंपनी ने अपने ही ग्रुप की आदित्य बिरला नुवो लिमिटेड से शुक्रवार को 833.04 एकड़ यानी 1,332.86 बीघा की भूमि की लीज परिवर्तन कराया, जोकि यूपीएसआईडीए ने किया।
इसके लिए ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने एक अरब 41 करोड़ 59 लाख 51 हजार 408 रुपये (1,41,59,51,408 रुपये) बतौर स्टांप शुल्क और 20 करोड़ 22 लाख 78 हजार 940 रुपये (20,22,78,940 रुपये) का रजिस्ट्री फीस शुल्क दिया है। कंपनी ने ई-स्टांपिंग और रजिस्ट्री शुल्क की पूरी राशि रजिस्ट्री विभाग को इ-पेमेंट के जरिए दी है।
यह रजिस्ट्री कोग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड के ज्वाइंट प्रेसीडेंट सुरेश चंद्र डाड ने कंपनी की तरफ से बीते दिन कराई। रजिस्ट्री होने के बाद उप निबंधक भानुप्रताप सिंह ने इसके दस्तावेज सुरेश चंद्र को सौंप दिया।
प्रशासन को करना पड़ा सॉफ्टवेयर में बदलाव
अपर जिलाधिकारी वंदिता ने बताया कि यह रजिस्ट्री स्टांप शुल्क की दृष्टि से प्रदेश की अब तक की सबसे बड़ी रजिस्ट्री है। अब तक रजिस्ट्री विभाग के सॉफ्टवेयर में शुल्क चुकाने की व्यवस्था 10 अंक तक थी। चूंकि शुल्क अंक का था इसके लिए विभाग को साफ्टवेयर में बदलाव करना पड़ा।
अब इसके नाम हुई अरबों की जमीन
ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने लीज परिवर्तन के लिए इस साल के प्रारंभ में अपर जिला मजिस्ट्रेट वंदिता श्रीवास्तव की कोर्ट में अधियाचन कर स्टांप निर्धारण कराने का अनुरोध किया था। इस पर उन्होंने 13 जुलाई को लीज परिवर्तन के लिए एक अरब 84 करोड़ 39 लाख 14 हजार 710 रुपये का स्टांप व इसके सापेक्ष रजिस्ट्री शुल्क चुकाने का अधिनिर्णय सुनाया था।
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इस निर्णय के क्रम में कंपनी अब तक चार रजिस्ट्री में एक अरब 76 करोड़ 48 लाख 15 हजार 460 रुपये का स्टांप शुल्क व 27 करोड़ 15 लाख 77 हजार 420 रुपये का रजिस्ट्री शुल्क दे चुकी है।
पहले भी हो चुकली तीन रजिस्ट्री
अमेठी एडीएम का कहना है कि इस कंपनी ने पहले भी लीज परिवर्तन की तीन रजिस्ट्री कराई है। इसमें पहली रजिस्ट्री के लिए कंपनी ने 26 लाख 21 हजार 800 रुपये का स्टांप व पांच लाख 58 हजार 570 रुपये का रजिस्ट्री शुल्क, दूसरी रजिस्ट्री के लिए 34 करोड़ 36 लाख 52 हजार 700 रुपये का स्टांप व छह करोड़ 81 लाख 95 हजार 440 रुपये का रजिस्ट्री शुल्क और तीसरे में 25 लाख 88 हजार 900 रुपये का स्टांप व पांच लाख 44 हजार 470 रुपये का रजिस्ट्री शुल्क चुकाया था।
बढ़ी इस वित्तीय वर्ष की आय
मुसाफिरखाना के उप निबंधक कार्यालय को एक अप्रैल से 13 नवंबर 2020 तक अलग-अलग प्रकार की रजिस्ट्री में लगने वाले स्टांप व रजिस्ट्री शुल्क से दो अरब 14 करोड़ 79 लाख 84 हजार 550 रुपये की आय हुई है। इसमें दो अरब तीन करोड़ 63 लाख 92 हजार 880 रुपये सिर्फ इस कंपनी की चार रजिस्ट्री से ही मिले हैं। वहीं अन्य से प्राप्त आय मात्र 11 करोड़ 15 लाख 91 हजार 670 रुपये है।
पहले कीतरह काम करेगी इंडोगल्फ
बता दें कि अमेठी जिले के कमरौली जगदीशपुर में यूपीएसआईडीसी ने 80 के दशक में इंडस्ट्रियल एरिया विकसित किया था। उस समय अमेठी से तत्कालीन सांसद रहे राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे। इसी वजह से यहां तमाम बड़ी कंपनियों ने लीज पर भूमि ली और कंपनियों की स्थापना की।
इस बीच बिड़ला ग्रुप ने 1984 में बड़ी भूमि पर इंडोगल्फ के नाम से शक्तिमान उर्वरक की कंपनी की शुरुआत की थी। इसी कंपनी की लीज पर ली गई संपूर्ण भूमि अपने ही ग्रुप की दूसरी कंपनी के नाम कर दी गई। कंपनी के ज्वाइंट प्रेसीडेंट ने इस मामले में बताया है कि कंपनी पहले की ही तरह काम करती रहेगी।