जुबिली न्यूज़ डेस्क
उत्तर प्रदेश में 12 सीटों पर विधानपरिषद के चुनाव होने हैं . इसको लेकर प्रदेश में एक बार फिर चुनावी हलचल शुरू हो गई है. बुधवार को समाजवादी पार्टी ने इन चुनावों के लिए अपने दो प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है. इसमें सपा ने पूर्व मंत्री अहमद हसन और राजेंद्र चौधरी को प्रत्याशी बनाया है. सीटों एक हिसाब से सपा के खाते में एक सीट आराम से आ जाएगी लेकिन उसको दूसरी सीट के लिए मशक्कत करनी पड़ सकती है.
दूसरी तरफ बसपा ने दो प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है. इसी वजह से सपा और बसपा के बीच एक सीट पर खींचतान हो सकती है. वहीं बात करें बीजेपी की तो 10 सीटें जीतने की स्थिति में है इसलिए उसने सिर्फ 10 फार्म ही खरीदे हैं.
बीजेपी की 10 सीट पक्की
सूबे के मौजूदा विधानसभा विधायकों की संख्या के मद्देनजर एक एमएलसी सीट पर जीतने के लिए करीब 32 मतों की जरूरत होगी. इसमें 309 विधायकों के साथ बीजेपी आसानी से 9 सदस्यों को भेज सकती है. इसके बाद भी बीजेपी के पास 21 वोट प्रथम वरियता के आधार पर बचेंगे. ऐसे में बीजेपी अपने सहयोगी अपना दल के 9 विधायकों के समर्थन से 10वीं सीट पर भी आसानी से जीत दर्ज कर लेगी.
बीजेपी को मिल सकता है बसपा का समर्थन मिलेगा
वहीं, बीजेपी-बसपा के साथ समझौते के तहत 11वीं सीट पाने की भी रणनीति पर काम कर रही है. बसपा अध्यक्ष मायावती राज्यसभा चुनाव के दौरान ही कह चुकी हैं कि एमएलसी चुनाव में अगर सपा को हराने के लिए बीजेपी को समर्थन करना भी पड़ा तो करेंगी. इसीलिए बीजेपी 11वीं प्रत्याशी उतारने का दांव चल सकती हैं, लेकिन महज बसपा के समर्थन से जीत नहीं हो सकेगी.
हालांकि, कांग्रेस के दो बागी विधायक बीजेपी के साथ आ सकते हैं. इसके अलावा जनसत्ता पार्टी के प्रमुख व विधायक रघुराज प्रताप सिंह भी बीजेपी के समर्थन कर सकते हैं. इसके बाद भी बीजेपी को 11वां प्रत्याशी जिताने के लिए कांटे का जोर लगाना पड़ेगा.