जुबिली न्यूज़ डेस्क
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के बावनखेड़ी कांड की आरोपी शबनम को फांसी दी जाएगी। उसके साथ ही उसके प्रेमी सलीम को फांसी पर लटकाया जाएगा। शबनम की दया याचिका को राष्ट्रपति ने भी खारिज कर दिया है।
इसके बाद उसकी फांसी के लिए मथुरा की जेल में तैयारियां शुरू हो गई है। बता दें शबनम आजाद भारत की पहली महिला होगी जिसे फांसी दी जाएगी। निर्भया के दोषियों को फंदे से लटकाने वाले पवन जल्लाद दो बार फांसी घर का निरीक्षण भी कर चुके हैं।
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पुनर्विचार याचिका खारिज करने के बाद अब हत्या के आरोप में बंद शबनम की फांसी की सजा राष्ट्रपति ने भी बरकरार रखी है।, ऐसे में उसका फांसी पर लटकना तय हो गया है। इसकी तैयारियां शुरू हो गई है। डेथ वारंट जारी होते ही उन्हें फांसी दे दी जाएगी।
निरीक्षण कर चुके पवन जल्लाद को मथुरा जिला कारागार में तख्ता लीवर में कुछ कमी दिखी, जिसे प्रशासन ठीक करवा रहा है। साथ ही फांसी पर लटकाने के लिए बिहार के बक्सर से रस्सी मंगवाई जा रही है ताकि किसी तरह अड़चन पैदा न हो सके।
बेटे ने लगाई माफ़ी की गुहार
वहीं दूसोरी तरफ शबनम के 12 साल के बेटे मुहम्मद ताज ने अपनी मां के लिए माफ़ी की गुहार लगाई है। राष्ट्रपति से दया याचिका ख़ारिज होने के बाद शबनम के 12 साल के बेटे ताज ने कहा है कि राष्ट्रपति अंकल जी, मेरी मां को माफ कर दो।
बता दें कि शबनम ने बेटे को जेल के अंदर ही जन्म दिया था। इसके बाद शबनम के दोस्त रहे उस्मान सैफी ने उसे गोद ले लिया। उस्मान ने बताया कि ताज ने राष्ट्रपति से मां शबनम को माफ करने की मांग की है।
क्या था मामला
दरअसल अमरोहा जिले के हसनपुर क्षेत्र के गांव बावनखेड़ी के शिक्षक शौकत अली की इकलौती बेटी शबनम का प्रेम संबंध सलीम के साथ था। सूफी परिवार की शबनम ने अंग्रेजी और भूगोल में एमए किया था। उसके परिवार के पास काफी जमीन थी, जबकि सलीम सलीम पांचवीं फेल था और पेशे से एक मजदूर था। इसी वजह से दोनों के संबंधों का परिजन ने विरोध किया।
इसके बाद शबनम ने 14 अप्रैल, 2008 की रात अपने प्रेमी के साथ मिलकर एक वीभत्स घटना को अंजाम दिया।जिसे देख और सुनकर लोगों की रूह कांप गई। शबनम ने अपने माता-पिता और 10 माह के भतीजे सहित परिवार के सात लोगों को पहले बेहोश किया उसके बाद सभी को कुल्हाड़ी से काटकर मार डाला था।
150 साल पहले बना था फांसी घर
शबनम को मथुरा के जिस जिला कारागार में फांसी दी जाएगी वहां करीब 150 साल पहले फांसी घर बनाया गया था. लेकिन आजादी के बाद से अब तक देश में किसी भी महिला को फांसी नहीं दी गई है। यह यूपी का इकलौता महिला फांसी घर है। हालांकि, किस दिन फांसी होगी इसकी कोई तारीख तय नहीं हुई है।
चाचा-चाची ने की जल्द फांसी देने की मांग
उधर शबनम के गांव में इस फैसले के बाद उसके चाचा और चाची सहित पूरे गांव में खुशी का माहौल है। शबनम की चाची बताती है कि हमें तो खून का बदला खून ही चाहिए। इसे फांसी जल्द होनी चाहिए।उन्होंने कहा कि उस समय अगर घर में हमलोग भी होते, तो हमें भी मार दिया होता। हम घटना के बाद आधी रात में यहां पहुंचे थे।
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उनका कहना है कि याचिका खारिज हो गई, हम तो बहुत खुश हैं।इसे फांसी होनी चाहिए। वहीं उनके चाचा ने कहा कि हम उस समय यहां नहीं थे। रात में दो बजे के बाद जब घर पहुंचे तो देखा सब कटे हुए पड़े थे। इसने जो किया है, वो ही भरना है।दूसरा देश होता तो इसे बहुत पहले ही फांसी हो जाती।