जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर योगी सरकार बन गई है। कल योगी ने बतौर मुख्यमंत्री फिर से शपथ ली है। उनके साथ 52 लोगों को कल मंत्री पद की शपथ दिलायी गर्ई है।
बीजेपी आलाकमान ने योगी की शपथ के लिए मंत्रियों के नामों पर गहण विचार करने के बाद इसकी रूप-रेखा बनायी थी। योगी की नई टीम पर गौर करे तो इसमें कई बदलाव किये गए है।
योगी की नई कैबिनेट में 21 सवर्ण, 20 ओबीसी और 9 दलित चेहरों को शामिल किया गया है। ऐसे में कहा जा सकता है कि नई टीम में कास्ट कॉम्बिनेशन का खास ख्याल रखा गया है। इतना ही नहीं एक मुस्लिम, एक सिख और एक पंजाबी को जगह मिली है।
इसके अलावा यादव समुदाय को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है। दरअसल अब बीजेपी का पूरा फोकस है 2024 में होने वाला लोकसभा चुनाव। इसी को ध्यान में रखकर योगी की नई टीम का गठन हुआ है।
इस वजह से योगी की नई टीम में कई बड़े नामों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। सामाजिक समीकरणों को देखते हुए अलग-अलग समाज के नए चेहरों को योगी की नई टीम में शामिल किया गया है।
पिछली सरकार में मंत्री रहे मोहसिन रजा का विकेट भी इसी वजह से गिर गया है। उनके जगह दानिश आजाद अंसारी को योगी की नई कैबिनेट में बतौर मुस्लिम चेहरे के रूप में जगह दी गई है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्यों मोहसिन रजा को योगी की नई टीम से आउट कर दिया गया है। इसका जवाब बेहद सीधा है और सरल है। मुस्लिमों को लेकर बीजेपी की सोच में बड़ा बदलाव आया है और इसी के तहत मोहसिन रजा को बाहर कर उनके स्थान पर दानिश आजाद अंसारी को मौका दिया गया है। राजनीतिक के जानकारों की माने तो मोहसिन रजा मंत्री रहते हुए अपना सियासी प्रभाव नहीं बना सके। इतना ही नहीं शिया वोट भी बीजेपी को दिलाने में मोहसिन रजा पूरी तरह से नाकाम रहे हैं।
इसका असर यह रहा कि बीजेपी को लखनऊ में एक सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा। इसके आलावा पांच साल मंत्री रहने के बावजूद मुस्लिम समाज में अपनी पकड़ बनाने में मोहसिन रजा नाकाम रहे हैं और उनका पूरा फोकस केवल बयानबाजी पर रहा है जो शायद वोट दिलाने के लिए काफी नहीं था। जानकारी के मुताबिक मुस्लिमों का 85 फीसदी वोट सपा के खाते में गया है जबकि बीजेपी को केवल आठ प्रतिशत से संतोष करना पड़ा है।
ऐसे में बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व इस बात को समझ गया था और उसने 2024 को ध्यान में रखते हुए मोहसिन रजा की छुट्टी कर दानिश आजाद अंसारी के रूप में युवा मुस्लिम चेहरे के तौर योगी की टीम में जगह दी है और मुस्लिम समाज को सियासी संदेश भी दे डाला है। पसमांदा मुस्लिम समाज को ध्यान में रखकर बीजेपी ने इस तरह का कदम उठाया है।