न्यूज डेस्क
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत लगातार कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन यूपीपीसीएल में पीएफ घोटाला हो या होमगार्डों की फर्जी ड्यूटी दिखाकर करोड़ों का वेतन भुगतान करने का मामले को लेकर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की चौतरफा आलोचना हो रही है।
यूपीपीसीएल के कर्मचारियों से लेकर विपक्ष तक हर कोई योगी सरकार को घेरने में लगी है। इस बीच केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री राव साहेब पाटिल दानवे ने प्रदेश सरकार को एक और झटका दिया।
राज्यमंत्री राव साहेब पाटिल दानवे ने बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में भ्रष्टाचार के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। एक सवाल के लिखित जवाब में मंत्री ने लोकसभा में बतायाद कि इस साल 31 अक्टूबर 2019 तक पीडीएस में भ्रष्टाचार की कुल 807 शिकायतें मिली हैं, जिनमें सबसे अधिक 328 शिकायतें उत्तर प्रदेश से आई हैं। बता दें कि यूपी के दो सांसदों ने मंत्री से इस बाबत जानकारी मांगी थी।
पीडीएस में भ्रष्टाचार की रिपोर्ट यह दर्शाती है कि सरकार को आने वाले दिनों में कोई ठोस कदम उठाना होगा, ताकि गरीबों की थाली का खाना भ्रष्टाचारियों का निवाला न बन सके।
गोरखपुर से सांसद रवि किशन और आगरा से सांसद डॉ. रामशंकर कठेरिया ने सवाल पूछकर केंद्रीय उपभोक्ता मामले के मंत्री से जानना चाहा था कि क्या खाद्य वितरण के मामले में आई शिकायतों में उत्तर प्रदेश भी शामिल है? सांसदों ने इन शिकायतों के ब्योरे के साथ-साथ इस पर लगाम लगाने के लिए उठाए गए कदमों की भी जानकारी मांगी थी।
केंद्रीय मंत्री ने लोकसभा में बताया कि पीडीएस में भ्रष्टाचार के मामले में बिहार दूसरे स्थान पर है, जहां से 108 शिकायतें आई हैं। वहीं, 78 शिकायतों के साथ दिल्ली तीसरे और पश्चिम बंगाल (48 शिकायतें) चौथे स्थान पर है।
मंत्री ने बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार लाने के लिए मंत्रालय सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से पीडीएस ऑपरेशन को कंप्यूटरीकृत कर रहा है। इस योजना के तहत राशन कार्ड/लाभार्थियों का डिजिटलीकरण करके सप्लाई-चेन मैनेजमेंट का कंप्यूटरीकरण किया जा रहा है। इसके जरिये पारदर्शिता लाने की कोशिश की जा रही है। इसके तहत इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ई-पीओएस) डिवाइस का इस्तेमाल करके राशन की दुकानों का ऑटोमेशन किया जा रहा है।