न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण के केंद्र सरकार से कोरोना संकट में देश के सभी धार्मिक ट्रस्टों में रखे सोने के भंडार का इस्तेमाल करने वाले बयान पर सियासत तेज हो गई है। बीजेपी नेता चव्हाण के बहाने कांग्रेस पर हमलावर हो गए हैं।
#Stimulus.@PMOindia Govt. must immediately appropriate all the gold lying with all the Religious Trusts in the country, worth at least $1 trillion, according to the #WorldGoldCouncil. The gold can be borrowed through gold bonds at a low interest rate. This is an emergency.PC
— Prithviraj Chavan (@prithvrj) May 13, 2020
दरअसल, कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने एक ट्वीट कर सरकार से देश के धार्मिक ट्रस्टों में रखी सोने की सभी बेकार वस्तुओं का उपयोग करने का आग्रह किया है। चव्हाण ने ट्वीट किया, ‘सरकार को देश के सभी धार्मिक ट्रस्टों में रखे सभी सोने का तुरंत इस्तेमाल करना चाहिए, जिसकी कीमत #WorldGoldCLC के अनुसार कम से कम $1 ट्रिलियन है। सरकार द्वारा सोने को कम ब्याज दर पर सोने के बॉन्ड के माध्यम से उधार लिया जा सकता है। यह आपातकाल है।’
हालांकि, BJP के कई नेताओं और हिंदू पुजारियों ने उनके अपमानजनक प्रस्ताव के लिए चव्हाण पर निशाना साधा है। बीजेपी के पूर्व लोकसभा सांसद किरीट सोमैया ने पृथ्वीराज से सवाल किया है कि क्या सोनिया गांधी ने उनसे ये मांग करने के लिए कहा है तो पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस नेताओं की तुलना मुगल आक्रमणकारियों से कर दी।
ये भी पढ़े:साथ खाई थी जीने मरने की कसमें, लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ…
ये भी पढ़े: जब सुहाना के लिए फोटोग्राफर बनी गौरी खान
किरीट सोमैया ने ट्वीट कर कहा, ‘पृथ्वीराज चव्हाण ने मांग की है कि सरकार को मंदिरों में रखे सोने का संकट के समय इस्तेमाल करना चाहिए. मैं पृथ्वीराज चव्हाण से पूछना चाहता हूं कि क्या सोनिया गांधी ने आपसे ये मांग करने के लिए कहा है? क्या यह कांग्रेस का रुख है? क्या यह मांग कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की है?’
पृथ्वीराज चव्हाण के बयान को लेकर बीजेपी नेता संबित पात्रा ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘मुझे इस बात में कोई संदेह नहीं है कि कांग्रेस और मुगल आक्रमणकारी में कोई अंतर है। मुगलों ने मंदिर को लूटा साथ ही ईस्ट इंडिया कंपनी और सोनिया की कांग्रेस में भी कोई ज्यादा अंतर नहीं है, क्योंकि इन दोनों ने भारत की धन और संपत्ती को लूटा। कांग्रेस हिंदूओं से नफरत करती है।’
ये भी पढ़े: झूठ को लोग गर्व से माथे पर सजाए घूम रहे हैं
ये भी पढ़े: कोरोना : आधुनिक इतिहास के सबसे भयावह वक्त की चपेट में है अमेरिका
बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मंदिर वाले तो सब कर ही रहे हैं। वे सोनियाजी से कहें कि गरीबों की मदद के लिए अन्य धार्मिक स्थल के भी ताले खुलवाएं, उनके अकाउंट को चेक करवाएं।विजयवर्गीय ने कहा कि अन्य धर्म के भी धार्मिक स्थल हैं, उनके भी अकाउंट हैं.. इनके बारे में कभी कुछ क्यों नहीं बोलते, हमेशा मंदिर के बारे में बोलते हैं। मंदिर वाले तो सब कर ही रहे हैं। यहां पर (इंदौर बाइसपास पर श्रमिकों की सेवा के लिए) जो टेंट देख रहे हैं यह हनुमान मंदिर का ही टेंट लगा है। शिर्डी के सांई बाबा, तिरुपति बाला जी की ओर से मदद आ गई। मंदिर तो सब कर ही रहे हैं। वे कम से कम इस समय वे वोट की राजनीति ना करें।
In 2015 Modi Govt renamed it to Gold Monetization Scheme. Many temples have pledged their gold according to answer given in Lok Sabha by Fin Min. I shall initiate appropriate action for intentional attempt to communalize my statement. (2/2)
— Prithviraj Chavan (@prithvrj) May 14, 2020
पृथ्वीराज चव्हाण ने एक ट्वीट के जरिए साफ किया कि मैंने जो सुझाव दिया है वह मोदी सरकार के सरकारी योजना का एक हिस्सा है। कोरोना संकट के कारण देश में पैदा हुए आर्थिक संकट के मद्देनजर मैंने मंदिरों के सोने को नियंत्रण में लेने का सुझाव दिया है, लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों ने मेरे सुझाव का गलत मतलब निकालकर धार्मिक दरार पैदा करने की कोशिश की है। ऐसे लोगों के खिलाफ मैं कानूनी कार्रवाई करूंगा।
My suggestion of gold monetization from all religious trusts has been deliberately twisted and misrepresented by a particular section of bhakt media. Gold Deposit Scheme was originally started by A B Vajpeyee Govt in 1999. (1/2) pic.twitter.com/vzkgDQAfO2
— Prithviraj Chavan (@prithvrj) May 14, 2020
चव्हाण ने कहा कि सोने को कर्ज के रूप में लेने की योजना को भारत में दो प्रधानमंत्रियों ने लागू किया है। संयोग से दोनों प्रधानमंत्री भाजपा के हैं। उन्होंने कहा कि साल 1998 में परमाणु परीक्षण के मद्देनजर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 14 सितंबर 1999 को स्वर्ण जमा योजना शुरू की थी। इसके बाद नवंबर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना का नाम बदल कर स्वर्ण मुद्रीकरण योजना कर दिया। इस योजना के तहत देश के 8 मंदिरों ने सोना विभिन्न बैंकों में रखा है। इसमें शिर्डी और तिरुपति मंदिर का भी समावेश है।