नई दिल्ली। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर शिकंजा कसने की तैयारी है। मसूद अजहर इससे पहले कई मौकों पर बच निकला है लेकिन पुलवामा आतंकी हमले को लेकर अब पूरा विश्व इस आतंकी के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की वकालत कर रहा है। फ्रांस के बाद अब संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) और यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। तीनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) से मांग करते हुए एक प्रस्ताव भेजा है और मांग की इस आतंकी को जल्दी ब्लैकलिस्ट किया जाये। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यूएनएससी ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए 13 मार्च तक का समय दिया है।
पूरे मामले की जानकारी भारत ने फ्रांस को दी
उधर इस पूरे मामले में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों के सलाहकार फिलिप एतिन से बातचीत करके पूरे मामले की जानकारी दी है। इसके बाद फ्रांस ने भी खुलकर भारत का साथ देते हुए बयान भी जारी किया था। प्रस्ताव पर गौर किया जाये तो इसमें आतंकी अज़हर की संपत्ति को जब्त करने की भी मांग की गयी है। हालांकि माना जा रहा है कि चीन एक बार फिर पाकिस्तान का साथ दे सकता है और वह इस प्रस्ताव का विरोध कर सकता है। यूएस, यूके और फ्रांस के इस प्रस्ताव का चीन द्वारा विरोध किए जाने की संभावना है।
चीन इससे पहले भी ऐसा कर चुका है
साल 2016 में चीन ने इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) एवं अलकायदा और वर्ष 2017 में जैश-ए-मोहम्मद पर प्रतिबंध लगाने को लेकर यूएनएससी में लाए गए प्रस्ताव का विरोध किया था। फिलहाल, चीन ने इस नए प्रस्ताव पर कोई बयान नहीं दिया है।
भारत इससे पहले भी कर चुका है कोशिश
हिन्दुस्तान ने इससे पहले आतंकी मसूद अजहर पर कई बार शिकंजा कसने की कोशिश की है। उसने इस आतंकी पर प्रतिबंध लगाने के लिए संयुक्त संयुक्त राष्ट्र में वर्ष 2009, 2016 और 2017 में ही प्रस्ताव पेश कर चुका है। साल 2016 में भारत के इस प्रस्ताव को तब बल मिला था जब अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने समर्थन किया था लेकिन चीन ने फिर इसका विरोध किया था। मीडिया रिपोट्र्स की माने तो फ्रांस इस बात पर भी जोर दे रहा कि पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में ‘ग्रे लिस्ट’ वाले देशों में शामिल करने के लिए भी दबाव बनाया जाए। पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रखा गया था। उसे नोटिस दिया गया था कि अगर उसने मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर लगाम नहीं लगाई तो अक्टूबर 2019 में उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।
आखिर क्या है जैश-ए-मोहम्मद और इसके मुखिया का इतिहास
पुलवामा में आतंकी हमले की जिम्मेदारी लाने वाले जैश-ए-मोहम्मद लगातार भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देता है। इसका आतंकी संगठन का मुखिया कोई और नहीं है बल्कि मौलाना मसूद है। ग्यारह भाई-बहनों में अजहर 10वें नंबर का था। उसके पिता सरकारी स्कूल में हेडमास्टर थे। मौलाना मसूद अजहर का परिवार डेयरी का कारोबार करता था। कराची के जामिया उलूम अल इस्लामिला से पढऩे वाला मसूद अजहर पहली बार 1994 में दबोचा गया था। हालांकि जैश मोहम्मद से पहले वह हरकत-उल अंसार से उसका संबंध रहा है। कंधार विमान कांड के बाद भारतीय जेलों में बंद मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक जऱगर और शेख अहमद उमर सईद जैसे चरमपंथी नेताओं की रिहाई की मांग की गई और छोड़ दिया गया। जानकारी के मुताबिक जेल से छूटने के बाद मौलाना मसूद अजहर ने फरवरी 2000 में जैश-मोहम्मद नाम के आतंकी संगठन को बनाया। इस संगठन को बनाने के पीछे उसका बेहद खतरनाक मकसद था।