न्यूज़ डेस्क
अमेरिका के एक निर्णय से ईरान का कितना और किस हद तक नुकसान हो सकता है इसका आपको अंदाज़ा भी नहीं होगा और साथ ही दोनों देश के बीच रिश्ते भी खराब होते जा रहे हैं। परमाणु समझौता से आंशिक रूप से अलग होने की ईरानी घोषणा के बाद अमेरिका ने उसके धातु उद्योग पर प्रतिबंध लगा दिया है जिनमें लोहा, स्टील, एल्यूमिनियम और तांबा शामिल हैं।
विदित हो कि तेल और गैस के बाद ईरान के निर्यात में धातु उद्योग का बड़ा हिस्सा है। दरअसल ईरान को अपनी शर्तों पर समझौता करने के लिए अमेरिका उस पर चौतरफा दबाव बना रहा है। हालाँकि ट्रंप ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वो ईरान के नेताओं के साथ मिलकर किसी समझौता पर पहुंच जाएंगे।
इस बीच ईरान के साथ परमाणु समझौते में शामिल पश्चिमी देशों ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने ईरान को चेतावनी दी है कि अगर वह परमाणु समझौते के नियमों को तोड़ेगा तो उसे इसके बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इन देशों ने कहा है कि वह ईरान के साथ परमाणु समझौते का समर्थन करते रहेंगे, बशर्ते ईरान इस समझौते से पीछे नहीं हटे और इसकी सभी शर्तों को पूरा करता रहे।
साल 2015 में हुए समझौते के मुताबिक ईरान को अपना परमाणु कार्यक्रम रोक देना था, बदले में उस पर लगे प्रतिबंध हटा लिए गए थे।
ट्रंप ने कहा कार्रवाई ईरान के राजस्व पर असर डालेगी। ईरान के कुल निर्यात में धातु उद्योग की 10 प्रतिशत हिस्सेदारी है। साथ ही उन्होंने दूसरे देशों को भी चेतावनी दी कि अगर वे ईरान के स्टील और अन्य धातुओं को उनके बंदरगाहों में उतारने की अनुमति देते हैं तो इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा, “अगर ईरान के रुख़ में कोई बदलाव नहीं हुआ तो उस पर और प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “मैं किसी समझौते पर ईरान के नेताओं के साथ एक मीटिंग का इंतजार कर रहा हूं और सबसे जरूरी बात कि भविष्य में वे जिसके हक़दार है उसके लिए कुछ कदम उठाना चाहता हूं.” ईरान के विदेश मंत्री जावेद ज़रीफ़ ने कहा कि उनकी तरफ से उठाए गए ताज़ा कदम समझौते के तहत ही हैं।
ईरान ने यूरोपीय देशों को 60 दिन का समय दिया है और कहा कि वे अमेरिका की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों से ईरान को बचाने के लिए कदम उठाएं। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि ऐसा न करने की सूरत में वह यूरेनियम का उत्पादन एक बार फिर शुरू कर देगा।