जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल चुनाव होना है। ऐसे में यहां पर राजनीतिक दल एक दूसरे पर निशाना साधने में जुट गए है। आलम तो यह है कि यूपी चुनाव में मुद्दों की कमी देखने को मिल रही है और इसका नतीजा यह हो रहा है कि राजनीतिक दल किसी और चीज के सहारे अपनी नैया को पार लगाना चाहते हैं।
जैसे-जैसे यूपी का चुनाव का करीब आ रहा है वैसे-वैसे राजनीतिक दल आए दिन नये-नये बयान देकर यूपी की राजनीतिक तापमान को बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
अभी कुछ दिन पहले ‘अब्बाजान’ शब्द सुर्खियों में बना हुआ था और अब इसके बाद नया शब्द ‘चचाजान’ एकाएक चर्चा में आ गया है। हालांकि फर्क सिर्फ इतना है कि ‘अब्बाजान’ शब्द अखिलेश यादव पर तंज था और ‘चचाजान’ शब्द ओवेसी से जोडक़र देखा जा रहा है।
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वरिष्ठ पत्रकार नितिन गोपाल ने जुबिली पोस्ट से बातचीत में कहा कि अब जबकि चुनाव में छह महीने से भी कम समय बचा है तब यूपी का सियासी तापमान गरमा रहा है और वोटों के ध्रुवीकरण की राजनीति चरम पर है। बंगाल चुनाव में भी ‘खेला होबे’ जैसे नारे चरम पर रहे। वही परिपाटी यूपी में ही दोहरायी जा रही है। महापंचायत के बाद अब किसान नेता ने ‘चचा जान’ जैसी बात कहकर नया दांव खेला है।
राकेश टिकैत ने किसको कहा ‘चचाजान’
दरअसल भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने हापुड़ में एक रैली में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को लेकर बड़ा बयान दिया है।
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उन्होंने ओवैसी को बीजेपी का ‘चाचाजान’ कह दिया है। राकेश टिकैत यही नहीं रूके उन्होंने यहां तक कहा डाला है कि इस चुनाव में भाजपा के चचाजान आ गए हैं। इस दौरान राकेश टिकैत ने ओवैसी को बीजेपी के साथ मिले होने की बात कही है।
उन्होंने कहा है कि वे यदि भाजपा को गाली भी देते हैं तो उन पर केस दर्ज नहीं होता क्योंकि वे दोनों एक ही टीम है। यह पहला मौका नहीं है जब ओवैसी को लेकर इस तरह का सवाल उठाया गया है। इससे पहले भी ओवैसी पर आरोप लगते रहे हैं कि वो बीजेपी की बी टीम है।
‘अब्बाजान’ शब्द को लेकर हो चुका है विवाद
दरअसल हाल में ही एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में योगी ने राम मंदिर के मामले पर अखिलेश यादव पर निशाना साधा था और कहा था कि उनके अब्बा जान तो कहते थे परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा।
अखिलेश यादव ने कहा था कि मुख्यमंत्री किसी और भाषा को जानते हैं। योगी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि हमारा आपका झगड़ा मुद्दों को लेकर हो सकता है, लेकिन मुख्यमंत्री अपनी भाषा पर संयम रखें अगर वो मेरे पिता जी को कुछ कहेंगे तो मैं भी उनके बारे में बहुत कुछ कह सकता हूं।
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मुख्यमंत्री मेरे पिता जी के बारे में ऐसी भाषा का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं? मुख्यमंत्री को अपनी भाषा पे संतुलन रखना चाहिये। मेरे पिता जी के बारे में कहेंगे तो अपने पिता के बारे में भी सुनने के लिये तैयार रहें। कुल मिलाकर जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है तो वैसे-वैसे यहां पर सियासी घमासान तेज होता दिखायी पड़ रहा है।