जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। यूपी में कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिश तो कई बात होती है मगर इसके शीर्ष पर बैठे लोग ही इस मुहीम को झटका दे देते हैं. निकाय चुनावो को मजबूती से लड़ने का दावा करने वाली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की बड़ी लापरवाही ने मथुरा में मेयर पद के पार्टी की संभावनाओं को पलीता लगा दिया है.
मथुरा में कांग्रेस का घोषित प्रत्याशी निर्दल, बागी को मिल गया सिम्बल
मथुरा की सीट पर आलम ये है कि जिस श्याम सुंदर बिट्टू को पार्टी का सिम्बल मिला है उसे कांग्रेस ने पार्टी से ही निष्काषित किया है और बसपा से विधायक रहने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए जिन राजकुमार रावत को पार्टी ने अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया वे तकनीकी रूप से निर्दलीय हो गए हैं.
इस पूरे मामले को ले कर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में चर्चाओं का बाजार गर्म तो है मगर मुंह खोलने को कोई तैयार नहीं है. शक की सुई प्रदेश अध्यक्ष की तरफ घूम रही है क्योंकि श्याम सुंदर बिट्टू को उनका करीबी माना जाता है.
आयोग के पास समय से क्यों नहीं पहुंची चिट्ठी
श्याम सुंदर बिट्टू की उम्मीदवारी ख़ारिज करने के लिए पार्टी कार्यालय से एक पत्र जाना था मगर वो आयोग में तब पहुंचा जब समय सीमा समाप्त हो चुकी थी. बताया जा रहा है कि इस पात्र पर हस्ताक्षर करने के लिए पदाधिकारी पूरे दिन अध्यक्ष जी के असफल संपर्क करते रहे. बड़ी मसक्कत के बाद प्रदेश अध्यक्ष ने 3 बजे के बाद कैंसिलेशन लेटर पर हस्ताक्षर किए।
दोनों प्रत्याशियों को ले ले कर खूब हुयी पंचायत
16 अप्रैल को पूरे दिन प्रदेश मुख्यालय पर इस मामले में खूब पंचायत होती रही। अगले दिन श्याम सुंदर उपाध्याय बिट्टू ने नामांकन कर दिया। मथुरा के कांग्रेसियों को जब पता चला कि श्याम सुंदर उपाध्याय ने सिम्बल भी जमा किया है तो हाथ- पाँव फूल गए। श्याम सुंदर बिट्टू का सिम्बल निरस्त करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी का पत्र की ज़रूरत थी लेकिन पत्र देर से जारी हुआ।