जुबिली न्यूज़ डेस्क
कानपुर और आगरा में मेट्रो के लिए कोच सप्लाई के टेंडर में चीन को एक और तगड़ा झटका लगा है। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने तकनीकी खामियों की वजह से कानपूर और आगरा मेट्रो के लिए चीनी कंपनी के टेंडर को ख़ारिज कर दिया है। यह टेंडर अब भारतीय कंपनी को दिया गया है।
दोनों ही प्रोजेक्ट में 67 ट्रेनों के लिए कोच की आपूर्ति अब भारतीय कंपनी का एक समूह करेगा। ये कंपनी गुजरात की है। और इस कंसोर्टियम का नाम बॉम्बार्डियर है। इन 67 ट्रेनों में प्रत्येक ट्रेन में 3 कोच होंगे, जिनमें से 39 ट्रेनें कानपुर और 28 ट्रेनें आगरा के लिए होंगी। इससे भारत के मेक इन इंडिया अभियान को और मजबूती मिलेगी।
यूपी मेट्रो ने रोलिंग स्टॉक्स और सिग्नलिंग सिस्टम के लिए अंतरराष्ट्रीय बिडिंग की थी। इसमें चार अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने हिस्सा लिया था। इसके लिये चीन की कंपनी सीआरआरसी (CRRC) नैनजिंग पुजहेन लिमिटेड ने भी टेंडर भरा था लेकिन तकनीकी खामियां पाये जाने के कारण चीनी कंपनी को अयोग्य घोषित कर दिया गया।
ये भी पढ़े : अब यूपी में नहीं लगेंगे ‘चीनी कंपनी’ से निर्मित बिजली मीटर
ये भी पढ़े : विकास दुबे की कॉल डिटेल में कई पुलिसवालों के नंबर, SO से STF कर रही पूछताछ
ये भी पढ़े : जानिए ‘धर्म चक्र दिवस’ पर क्या बोले पीएम मोदी
इस मामलें में यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने बताया कि रोलिंग स्टॉक्स और सिग्नलिंग सिस्टम के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मक बोलियां आमंत्रित की गई थी, जिसके तहत 4 अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया और 18 फरवरी, 2020 को अपनी निविदाएं यूपीएमआरसी को सौंपी। वित्तीय बोली के लिये तीन बोलीदाताओं को चुना गया अैर सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी में बॉम्बार्डियर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को आज ठेका दे दिया गया।
उन्होंने बताया कि कानपुर और आगरा के लिए प्रस्तावित मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम की खास बात यह है कि दोनों जगह दो स्टेशनों के बीच की दूरी (लगभग एक किलोमीटर है) यहां जो मेट्रो चलेंगी उनकी गति सीमा 80 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित की गई है, जबकि इन ट्रेनों की अधिकतकम रफ्तार 90 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी।
लखनऊ की तर्ज पर होगा काम
यूपीएमआरसी द्वारा जारी किये गये एक बयान में बताया गया कि, लखनऊ की ही तर्ज पर कानपुर और आगरा में भी रोलिंग स्टॉक्स और सिग्नलिंग सिस्टम के लिए एकीकृत निविदा प्रक्रिया अपनाई जाएगी। देश में पहली बार लखनऊ मेट्रो परियोजना के लिए यह प्रयोग किया गया था, जोकि काफी सफल रहा।
गौरतलब है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग ने चीनी बिजली मीटर और अन्य उपकरण के इस्तेमाल पर रोक लगाने का ऐलान किया था। दरअसल यूपी के लिए मुहैया कराए गए स्मार्ट मीटर इंडोनेशिया की एक कंपनी से खरीदे गए थे। इस मीटर की सप्लाई करने वाली इंडोनेशिया की कंपनी मूलत चीन की बताई जा रही थी। इसके बाद इनके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गयी।